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Monday, 9 November 2015

जिंदगी पॉलिटिक्स नहीं है.....

बिहार का अगला शिक्षा मंत्री तेजस्वी यादव होंगे कि उपमुख्यमंत्री  हावर्ड ब्रांड मीसा भारती होंगी,हमारे मोहल्ले के ड्यूड मंटुआ को इसकी कोई परवाह नहीं है.....
उसको तो इस बात कि चिंता  खाये जा रही कि उसकी 'पटाखा' इस बार दिवाली में घर आई है या नोएडा में  बीटेक्स की पढ़ाई ही कर रही है ?.. देखिये न बेचारे का मुंह जले हुए फुलझड़ी जैसा हो गया है।
वो भी क्या दिन थे जब मंटुआ ने काली माई डीह बाबा को प्रसाद चढ़ाकर हनुमान चालीसा पाठ के बाद डरते डरते   "आई लभ यू स्वीटी जी " कहा था...बाकी जबाब तो कुछ आया नहीं.. उल्टे मोहतरमा ने बेचारे को फेसबुक पर भी ब्लाक कर दिया...हाय..दिल टूट के बिहार हो गया था उसका.केतना एन्जेल प्रिया टाइप फेक आईडी बनाकर रिक्वेस्ट भेजा.. बाकी सब ब्लॉक।
उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो इंजिनियरिंग पढ़ने गयी है या दिल तोड़ने का कोई डिप्लोमा करने। बहुते रोया था।
आज सुबह से उसी के ख्यालों में खोया है...आ जाती तो एक बार देख तो लेता...अल्ताफ राजा और अगम कुमार निगम के सात पुश्तों की कसम.. अपना न हुई तो क्या हुआ.?..पेयार तो आज तक उसके लिए दिल के इनबॉक्स में सेव है..... पता न छह महीना में केतना मोटाई आ दुबराई है...बीटेक में एडमिसन से पहले केतना नीक लगती थी न..  देखते ही लगता था जैसे लंका वाले पहलवान ने अभी अभी लौंगलता छानकर निकाल दिया हो.....
हाय...जबसे मोहल्ले से गई तबसे लौंडे विधवा हो गए।...उधर वो बीटेक्स करने लगी इधर मोहल्ले के सारे लौंडे विद्यापीठ में नेता हो गये..बचे खुचे समाजवाद में ठीकेदार बनकर सड़क बिगाड़ने का काम करने लगे।..
अब यही होली दिवाली में आती है.. सो सभी दिल जलों को  उसके छत पर दिया जलाने का इंतजार रहता है.... तभी लगता है दिवाली है। वरना स्वीटी के बिना मोहल्ले की दिवाली और मुहर्रम में कोई अंतर नहीं।
खैर छोड़िये महराज इ सब..आज  हमारी खेदन बो भौजी मारे ख़ुशी के उछल कूद रहीं हैं.. गोड़ जमीन पर नहीं पड़ रहा...कल ही से स्वच्छ घर अभियान जारी है....उनके घर आँगन गली से माटी की सोंधी सोंधी खुश्बू आ रही है...गाय के गोबर से आँगन लीपा रहा है...सरसों तेल पेराकर आ गया..नया धान का चूड़ा भी कूटा रहा है गोधन बाबा के लिए...एक अजीब सी सुगन्ध चारो ओर फैली  है...आज भौजी का  परेम इतना न फफा रहा है कि ख़ुशी के मारे दो बार आँगन बुहार दिया है..कमबख्त इस whats app फेसबुक के जमाने में भी छत पर कौआ काँव से बोल जाता है..और भौजी शरमाकर मुस्करा देतीं हैं....
मुझे  अपना वो  भोजपुरिया लोकगीत याद आता है.....
जिसमें बिरहन कौवे से कहती है...
"सोने से तोर ठोर मढ़वइबो आपन बेच कंगनवा..अंगनवा कागा बोले रे..."
बिरहन कहती है कि "बता दो कागा आज बलम जी आएंगे या नहीं."...लालच देती है कागा को कि सच सच बता दो...मैं अपना सोने का ये कंगन बेचकर तुम्हारे इस चोंच को सोने से मढ़वा दूंगी...मने लोक में उच्चस्तर का साहित्य सिर्फ राजस्थानी लोकगीतों में ही नहीं होता साहेब... इस एक गीत पर सब रीतिकाल को न्यौछावर कर  देने का मन करता है मुझे।
तभी तो खेदन बो भौजी भी कौवे से इसी अंदाज में बतीया रहीं हैं...पता है क्यों?....अरे आज डेढ़ साल बाद उनके खेदन सिंग बलमुआ  पवन एक्सप्रेस से घर जो आ रहें हैं....उनके लिए कंगन हार नथिया सब बनवाकर ला रहे हैं।
इधर हमारे अकलू काका कुम्हार भी बड़ी ब्यस्त हैं.. जबसे मोदी जी ने मन की बात में सबको माटी का दिया खरीदने कि बात की है तबसे इतना न डिमांड हो गया है कि आज सात दिन से लगातार दिया ही बना रहें हैं......कितने खुश हैं इस बार....हर साल बेचारे बाजार से चाइनीज बत्ती बेचने वालों को गरियाकर चले आते थे....लेकिन इस बार. तो भाव टाइट है चचा का...दिया बेचकर ददरी मेला नहाने जाएंगे। आ गुरही जिलेबी खरीदेंगे....
मैं क्या करूँ...इस फेसबुक को  बार बार देख रहा..दो चार दिन से हर आदमी बुद्धिजीवी और चुनाव विश्लेषक हो गया है...अपने बेटे बेटी का खबर न रखने वाले कामरेड रामलाल बिहार का भविष्य बाँच रहें हैं.... उनके साथ असली आम आदमी भी बहुत खुश हैं..मोदीया हार गया। कोई हार के गम में छाती पीट रहा है।
सोच रहा किस पर तरस खाऊँ...उस मंटुआ खेदन बो भौजी,अकलू काका या फेसबुक के इन बुद्धिजीवीयों पर...
शायद ये नहीं जानते कि मंटुआ का इंतजार कितना प्यारा है..... खेदन बो भौजी की ख़ुशी किसी बिहार के जीत की ख़ुशी से हजार गुना भारी है....अकलू काका के दिए में उम्मीद की जल रही लौ कितनी सुंदर है.....
दिल से हूक उठती है...."अरे  ये बहस बन्द करिये महराज...आप मानसिक बीमार हो जाएंगे कुछ दिन में...बाहर आइये....दीपावली आ गया..हंसी ख़ुशी से मनाइये....किसी गरीब से दो चार दस दिया बाती खरीद लिजिये....किसी बुजुर्ग रिक्शे वाले को दो चार दस रुपया अधिक दे दीजिये.. अपनी कामवाली,अपने धोबी प्रेस वाला अखबार वाला  से पूछिये की उनकी दिवाली कैसे मनेगी...?
अरे ये  जिंदगी सिर्फ पॉलिटिक्स नहीं है....जिनकी जिंदगी ही पालिटिक्स है वो संसार के सबसे दुर्भाग्यशाली लोग हैं..करीब से देखियेगा कभी।..
ये जीवन तो  संगीत है....जहाँ प्रेम एक राग है...होली दीपावली इसके शुद्ध स्वर हैं...जिससे ये जीवन संगीतमय प्रेममय और आनंदमय बनता है।  बस
सबको धनतेरस दिवाली की शुभकामनाएं।

Thursday, 29 October 2015

पिंकिया के माई.....

हमार पिंकिया के माई.....

तहरा के गोड़ लागतानी..

उम्मीद बा तू एकदम पाकल पपीता लेखा मोटा के पियरा गइल होखबू.....
हमरा पकिट से पइसा चोरा के दू चार थान गहना बनवाके टोला मोहल्ला में बता देले होखबू की "हमरा नइहर से मिलल बा।" बाकी तू हमरा के जरूर मिस करत होखबू....झगड़ा करे के जब कब मन करत होइ तब तब हमार इयाद आवत होइ....
हमार करेजा....भले तहार मुंह ममता बनर्जी लेखा होखे बाकी हम तहरा के आलिया भट्ट के  मौसी से कम ना समझेनी.....
भले तू किरीम पोतके आ सतरह मिनट मेकअप क के मारिया शारापोवा बना बाकि हमरा तू सेरेना विलियम्स ही लागेलू...
अब खिसिया मत....देखा आज हमरा तहरा  बियाह के चार बारिष भ गइल...जब नया नया तू घर में उतरलू त बुझाइल की हातना  शरीफ मेहरारु आ रहनदार मेहरारू त लालटेन चटाई लेके दस गांवे खोजला प ना मिली.....
तहार समय से उठल आ घर में सबके गोड़ लागल हमार सेवा कइल सबके टाइम टाइम से खाना चाह दिहल....माई बाबूजी के सेवा कइल...इ सब बुझाव की हम दिनहि में सपना देखत बानीं......की कवना जनम के हीरा दान कइले रहनी की हइसन रहनदार मेहरारु मिल गइल...एकदम इन्नर के परी लेखा।
बाकी धीरे धीरे समय बीतत गइल..तू  रवीना टण्डन से कब राबड़ी देवी हो गइलू हमरा ना बुझाइल.....आ चन्द्रमुखी से सूर्यमुखी आ फेर ज्वाला मुखी कब हो गइलू इत हमरा पते न चलल....
धीरे धीरे कब हम पत्निव्रता पति हो गइनी इहो ना बुझाइल....ई शोध के लमहर चाकर बिषय बा।
कब हम गोड़ मिसवावत मिसवावत तहार गोड़ मिसे लगनी...कब खाना खात खात खाना बनावे लगनी...बर्तन मांजे लगनी पते ना चलल.....
आज पता चलल ह की..तू हमार लमहर चाकर जीवन  खातिर करवा चउथ भूखल बाड़ू.. इ हमरा जानी के खूब रोये के मन करत बा..
मन करता की लाउडस्पीकर लगवा के भर गांवे हाला क दी की..हमार पिंकिया के माई हमरा से बहुते परेम करेले....मने तू कातना कष्ट करत बाड़ू हमरा खातिर...
हम जानते ना रहनी...भले तू हमरा से झाड़ू लगवावेलू....कबो कबो बर्तन भी मजवा ले लू...अउर त अउर आधी आधी रतिया खानी उठ के कहेलू की "ए जी तनी गोडवा दबा दी ना" बाकी हई हमरा से तहार कष्ट देख नइखे जात..
हम इहे सोचत बानी की रोज तू दिन में  तीन हाली खालू दिन भर हमरा पेयार में कइसे भुखासल रहबू...
अब भूखल बाड़ू त ठीक बा.
सांझी खा खूब नीक से सज संवर के स्काइप प अइहा हम तहरा के ऑनलाइन ही देख के आपन सरधा पूरा लेब....आ तू चलनी में हमरा के देख के पानी पीके पारन क लिहा।
आ सूना आगे बड़ी परब त्यौहार बा..दिवाली आई फेर छठ आई एक से एकही दिन जाके तनी ब्यूटी पार्लर मेंजवन जवन पोतवावे के होइ तवन पोतवा लिहा.....
हम पइसा भेज देले बानी...आ दिवाली में पिंकिया के पड़ाका मत बजावे दिहे..
हमार फुलझड़ी...देख एह बेरी के हम फगुआ में आइब त तहरा के झुलनी बनवाइब...शिसमहल में निरहुआ के फिलिम भी देखाइब...
कवनो बात के चिन्ता मत करिह..जियत जिनिगी में हम तहरा सवख सरधा में कमी ना होखे देब..खूब नीमन से झमका के रहिहा....
तनी माई बाबूजी आ पिंकिया के खेयाल रखिहा..
बाकी सब ठीक बा. डीह बाबा काली माई हमनी के कुशल मंगल राखस।
ह एने हमरा बुझा गइल बा की मोदी जी काहें मेहरारू छोड़ दिहले।

तहार हसबेंड
खेदन सिंग।

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