Monday 11 April 2016

मानों नहीं जानों....

आरएसएस को आज जब कुछ लोग इस्लामिक  स्टेट कह रहे हैं..तब ऐसी तस्वीरें सामने आनी जरूरी हो जातीं हैं..कल केरल में सैकड़ों संघ के कार्यकर्ता सेवा और लाइन लगाकर रक्त दान करते रहे।
हालांकि स्वयंसेवकों का ये निः स्वार्थ सेवा भाव किसी तस्वीर का मोहताज नहीं..
वो तबसे किसी दुर्घटनास्थल पर पहले पहुंचतें हैं जब गूगल,फेसबुक और ट्वीटर के बाबूजी पैदा नहीं हुये थे...
कुछ महीने पहले चलता हूँ..
तब मोहन भागवत माधव आश्रम का उद्घाटन करने लखनऊ पहुंचे थे.
इस अवसर पर वहां किसी  स्वयंसेवक ने आल इंडिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल ला बोर्ड की अध्यक्षा शाइस्ता अम्बर जी को आमंत्रित किया था..
शाइस्ता अम्बर जी आरएसएस के इस कार्यक्रम में  आईं..भागवत जी को सुना और सुनने के बाद
टाइम्स आफ इंडिया को दिये इंटरव्यू में कहा कि..."मुझे ऐसा कुछ आपत्तिजनक नही लगा जो मैं एक अरसे से  सुनती आई हूँ कि आरएसएस मुस्लिमों के बारे में अच्छे विचार नही रखता. वो सिर्फ हिंदुत्व की बातें करता है.
यहाँ तो देश और तमाम सामाजिक समस्यायों और सबको साथ लेकर चलने की बातें की जा रही हैं.न ही अभी किसी से जबरदस्ती भारत माता की जय बोलवाने की बात कही गयी है.."
बाद में उन्होंने मोहन भागवत जी को अपनी मस्जिद में आने का निमन्त्रण भी दिया .जिसे उन्होंने स्वीकार भी किया है.
मैं ये समाचार पढ़ा तो अच्छा लगा..
मैंनें यहाँ बनारस में   आरएसएस के अनुषांगिक संगठन   'राष्ट्रीय मुस्लिम मंच' के तमाम कार्यक्रम भी देखें हैं..
अभी  वहां "काउ मिल्क फेस्टिवल" हुआ था..जहाँ सैकडों मुस्लिमों ने गाय का दूध पिया..अफ़सोस की बीफ फेस्टिवल दिखाने वाली मीडिया में ये फेस्टिवल कोई खबर न बना.
अभी-अभी बनारस में इसी  'राष्ट्रीय मुस्लिम मंच' ने उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ख्वाहिश रखने वाली गरीब मुस्लिम  छात्रावों को स्कालरशिप और जो परिवार पैसे बिना बेटी की शादी नही कर पा रहे उनकी मदद करने की घोषणा किया है..
खैर ये तो शाइस्ता अम्बर और राष्ट्रीय मुस्लिम मंच की बात हुई..
लेकिन यहाँ कुछ सनातन निंदक हैं..जो न ठीक से आरएसएस को जानतें हैं न कभी उसके किसी कार्यक्रम में शामिल हुये हैं...
और न ही वो   किसी  शाइस्ता अम्बर का कहा सुनतें हैं..और न ही उन्होंने 'राष्ट्रीय मुस्लिम मंच' के बारे में सुना है..
वो एक अरसे से गलत प्रचार कर रहें हैं..
कुछ लोगों ने तो  बड़ी होशियारी से शाइस्ता अम्बर जैसे लाखों मुसलमानों को भड़काने  में कामयाबी भी हासिल कर ली है कि आरएसएस वाले  मुसलमानों का नाश करना चाहते हैं..
वो ब्राह्मणवादी हैं.महिला विरोधी है"
हालांकि ब्राह्मणवादी का ठप्पा वही वामपंथी लगातें हैं जो दिन रात समानता की बातें तो करते हैं लेकिन उनके पोलित ब्यूरो में आज एक भी दलित नहीं है.
ले देकर एक वृंदा करात  महिला भी हैं तो वो भी प्रकाश करात जी के कोटे से आई  हैं.
अब हम किस को दोष दें..शाइस्ता अम्बर जैसे लाखों मुसलमानों को या जिसने आरएसएस के बारे में  वामपंथीयों से जाना है उनको ..या सो काल्ड सेक्यूलरिज्म के ठीकेदारों को जिन्होंने लगातार गलत प्रचार किया है..
या उन  वामपंथियों को जिन्होंने भारत और उसकी संस्कृति  को मार्क्स से जाना है..
जबकि रविन्द्र नाथ टैगोर कहतें हैं एक जगह  "भारत को जानना है तो विवेकानंद को जानों"
मैं आज यहां  किसी को जनवाना  या अपनी मनवाना नहीं चाहता..मन उखड़ा सा है..
हम सब यहां वैचारिक प्रदूषण और संक्रमण के दौर से गुजर रहें हैं...
सबको अपनी मनवाने की जिद्द है..सारे वैचारिक युद्ध इसी के लिये लड़े जा रहे..
आज मैं बस इतना कहना चाहता हूँ कि आपको ईश्वर,अल्लाह,वाहे गुरु,और गाड ने विवेक दिया है तो संघ या हिंदुत्व को किसी वामपंथी से मत जानिये..
मैं जानता हूँ आप किसी आरएसएस या मोदी को कभी स्वीकार नहीं करेंगे लेकिन..इतना तय करने से पहले आप आइये दो चार बार किसी संघ के कार्यक्रम में बैठिये उनकी सुनिये.तब डिसाइड करिये...
हाँ आप वामपंथ को ही जानना चाहतें हैं तो किसी संघी से मत जानिये..पहले मार्क्स की जीवनी..दास कैपिटल और कम्युनिस्ट मैनूफेस्टों वर्तमान में वामपंथ का हाल और  उसकी प्रासंगिकता का अध्ययन करिये..
अगर इस्लाम को जानना चाहतें हैं तो किसी मुल्ला या बाबा जी के चक्कर में मत पड़ जाइये...सबसे पहले मुहम्मद साहब की जीवनी पढ़िये..कुरआन,हदीस के साथ इस्लाम का इतिहास भूगोल और वर्तमान का अध्ययन करिये...
अगर अम्बेडकर को जानना है तो किसी दलित नेता या मण्डल टाइप किसी बीमार बुद्धिजीवी  से मत जानिये..तब बाबा साहब की किताबों और उनके जीवन दर्शन की तरफ रुख करिये....
क्योंकि  हम चूक जातें हैं अक्सर जब बिना जाने कुछ भी मान लेतें हैं..
बुद्ध ने एक जगह कहा.."मानों मत जानों."
जिस दिन हमने मानने से ज्यादा जानने पर जोर दिया उस दिन कुछ अंध विरोध और अंध भक्ति के भाव कम होंगे। वैचारिक प्रेम और  सहयोग शायद उसी दिन से शुरू होगा..
उसी दिन वैचारिक प्रतिरोध का तनाव कम होगा।

4 comments:

  1. पता नहीं ये तथाकथित बुद्धिजीवी वामपंथी कब तक अपनी स्वार्थसिद्धि के लिये जहर घोलते रहेंगे।

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  2. पता नहीं ये तथाकथित बुद्धिजीवी वामपंथी कब तक अपनी स्वार्थसिद्धि के लिये जहर घोलते रहेंगे।

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  3. अति उत्तम बिलकुल सही कहा है.

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  4. PLEASE VISIT

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