Thursday 17 December 2015

भोजपुरिया स्वाभिमान सम्मेलन 6- एगो जरूरी आयोजन

काल्ह सांझे से पिंकिया के माई धान पीट तीया...कि काम धाम हो जाई त प्रोग्राम देखे में कवनो दिक्कत ना होइ....लगिए   खेदन बो  साड़ी परेस करतारी हो दादा...मंटुआ के माई आपन झुमका बकसा में से निकास ले ले बिया..काल्ह पहिन के सभका के देखा के मानब  बड़ा पिंटूआ के माई झुमका वाला बनतीया न....."
रमेसर काका आ बलदेव बाबा भी धोती गमछी फिंच फाँच के तइयार बालो..ममतवा आ बबीतवा के प्रभात फेरी में जाए के बा एह से सुबेरे सेकराहे उठे के चिंता में सूत गइल  बाड़ी स.... आ पिंकुआ त अपना माई से जिद्द क देले बा की "हमहू झण्डा लेके जाइब आखर वाला रे माई ना त रोवे लागब.......हमहू नवा कपड़ा पहिनब..."..बबलुआ अपना बाबू से 10 रुपिया मंगले बा 'ए बाबूजी  ओइज़ा जिलेबी के दोकान भी आइल बा हो.आ पकौड़ियों मिलता...."बाबूजी ओकर डांट रहल बाड़े.जातारे प्रभात फेरी में कि मेला में रे..?
मने गाँव भर के सभे तइयार बा.. एगो अलग उमंग में रंगाइल...रउरा पूछब काहें भाई.?..कहाँ जाए के बा..कवनो मेला नइखे लागल नाहीं कवनो त्यौहार आइल बा..फेर काहें गाँव जवार के एक एक आदमी अतना उत्साहित बा?...
देखि ना...एह उत्साह में मेला भी बा आ त्यौहार भी. होली भी आ दीपावली भी...
आज सिवान के पंजवार गांव के आपन एगो अलग पर्व ह एगो अलग त्यौहार ह जेकर नाव ह भोजपुरिया स्वाभिमान सम्मेलन..गाँव के एक एक आदमी आखर के एह  प्रयास से दिल से जुड़ल बा....इ छठवां साल ह एह आंदोलन के..जेमे गाँव के एक एक आदमी एक श्रोता एकर आयोजक होला  ना केहू बड़ ना केहू  छोट ..ना केहू वीआईपी बा ना केहू जनरल....तबे त एह त्यौहार में देश से नाहीं विदेस भी आदमी चलल चल आवत बा..
हेने गुरु जी आदरणीय घनश्याम शुकुल जी   पिरयनसुआ से कहतानी के हई भइया लो.. जे जे आइल बा इहाँ सब के चाय पानी जल्दी जल्दी पियाव त मोबाइल में टीप टाप करीहे..... होने देखा ह नबीन भइया दुबई से आ गइनी.बड़ा थाकल बुझात बानी ए भाई....शक्तिनगर से बिरिज चाचा...रांची से निराला भइया आ गइल बानी ..बोकारो से चन्दन बहिन आ रेखा चाची...नाशिक से प्रभाष भइया...बरधा से देवेन्द्र भइया..अबूधाबी से अनिमेष भइया आ बम्बई से अमित भइया आइल बाड़े भाई..राजीब भइया आ अजित भइया दिल्ली से आ गइल बा लो.संगवा में राजू महराज जी आ डाक्टर सरवन पूरी आ यशवन्त चाचा.....देवरिया से अजित भइया...गाजीपुर से अभिषेक बाबू...बलिया से असित मिसिर आनंद बाबा आ अभिनंदन बाबू आ हई जिला हिलावन गायक शलेन्दर मिसिर भी बाड़े...गोपालगंज से सिरमुख बाबा आ सुधीर भइया...कवन कहत रहल ह कि बनारस से अतुलवा आ दिल्ली से आदित्य .भी चल देले बा लो.काल्ह आ जाई लो।
संजय भइया एही चिंता में परसान बानी की कबनो प्रकार के केहू के असुविधा ना होखो....देखि हेने सभे छोट अपना बड़ के गोड़ लागत बा.. इ सब देखी के हियरा जुड़ा जाता...वाह रे हमनी के भोजपुरिया संस्कार...
लिटी चोखा लाग रहल बा...काल्ह कइसे कइसे का करे के बा सब प्लान बन रहल बा....नबीन भइया निराला भइया आ संजय भइया से सलाह कइल रहल बाड़े।सब लिटी चोखा खा लिहल...सभ फेसबुक के बाद आ आमने सामने मिलकर आनंदित बा..लिटी चोखा ले फ़ोटो नबीन भइया फेसबुक प डाल देले बानी.....बड़ा मजा आइल...
अब सुते के तइयारी....बिरिज चचा चार गो मच्छर मार देले बानी बाकी तबो उहाँ के नाक बजला से अजीत भइया परसान नइखी होत।
ली सबेर हो गइल..सभे जाग गइल..चाय पानी नास्ता हो गइल..अब प्रभात फेरी  के तइयारी बा सब तैयार होके निकले लागल..आखर के टी शर्ट पहिन के सभके छाती गर्व से फूल गइल बा.....सेल्फ़ी लिया रहल बा......गाँव भर के लइका आ लइकी ड्रेस पहिन के प्रभा प्रकाश डिग्री कालेज ओर चल देले बा लो..उहाँ एक एक गो छात्रा आ स्कूल के लइकन के आँख से उमंग झाँक रहल बा..एगो अलग जोश एगो नया ऊर्जा के संचार अपना माई भाखा खातिर...अपना भोजपुरी खातिर...सभ एक ड्रेस में अपना प्रभात फेरी खातिर लाइन में लागल बा..हर हाथ दफ़्ती  आ बैनर तइयार बा.. मंटुआ खूब जोर से चिल्लात बा..."फायदा बा ना दुरी में...तले बबलुआ पीछे से बोल देले बा..."बात करी भोजपुरी में"
अनिमेष भइया प्रभात फेरी के फ़ोटो खिचे में लागल बानी.... होने देवेन्द्र भइया आ निराला भइया बुढ़उ बाबा से बतीया रहल बा लो...ब्रिज चाचा आ देवेन्द्र भइया लइकन के देख रहल बा लो...अमित भाई वीडियो रिकार्ड करत बानीं..नबीन भइया आखर के फेसबुक पेज अपडेट कर रहल बानीं..ताकि दुनिया भर में आखर के बीस हजार परिवार के लोग भी त जाने कि कब का होता...संजय भइया संचालक के भूमिका में बानी....
प्रभात फेरी हो गइल अब  दिप प्रज्ज्वलन के बारी......सभ कुर्सी पर मंच के सामने आ गइल..बइठ गइल।
सीवान के भोजपुरिया लाल आ देश के प्रथम  राष्ट्रपति राजेन्द्र प्रसाद जी के चित्र पर फूल माला चढ़ावल जाता....सभ हाथ जोड़ के नमन करता बा ओह महान आत्मा के जेकर नाव लेते ही कवनो भोजपुरिया के सीना गर्व से फूल जाला।
"गाई के गोबरे महादेव" जइसन मंगल आ शगुन के गीत से हमनी के परम्परा में कवनो शुभ काम शुरू होला..एइजा  एकर बानगी देखे ले मिलता....डिग्री कालेज के बहिन लोग बड़ा नीमन से गा रहल बा लो...महादेव के बोला रहल बा लो कि आई आ हमनी के एह आखर के यज्ञ के सफल बनाई।
ली अब  कार्यक्रम के विधिवत शुरुवात हो गइल
मंच पर गुरु जी आदरणीय जौहर शाफियाबादी जी आदरणीय गुरु जी घनश्याम शुक्ल जी...मोहन प्रसाद जी आ सभे अतिथि लो बइठ गइल लो...चर्चा सत्र के विधिवत शुरवात हो गइल.....
सभे भोजपुरी के योगदान के बारे में विस्तार से आपन बात रखल ह...आजादी के समय भोजपुरी आ भोजपुरिया के का योगदान रहे इ सुनके  सभके बड़ा नीक लागल। अंत में संजय भइया मंच पर शैलेन्दर मिसिर आ असित मिसिर आ चन्दन तिवारी के बोला दिहनी...सभ आपन आपन राय रखले बा....
अब चर्चा सत्र भी भी खतम भइल...अब सभके तनी भूख के एहसास हो रहल बा..जिलेबी आ भूजा के दोकान पर भी भीड़ उमड़ल बा..
संजय भइया सबसे कहतानी की चले के खाना खाये ताकि समय से सांस्कृतिक कार्यक्रम के शुरुवात होखो...सभे खाना खा रहल बा फ़ोटो खिंचवा रहल बा.....
जे खा लिहल उ मंच के सामने लागल पर्दा के सोझा बइठ गइल....पर्दा पर नितिन चन्द्रा जी के फिलिम 'देसवा' देखावल जात बिया.... सभ धेयान से देख रहल बा.....देसवा देसवा रहे सोन चिरई वाला टाइटल गाना सुनके सभे करूण रस में डूबल बा...एगो अद्भुत फिलिम।
फिलिम खतम भइल.....भीड़ ठसाठस बढ़ गइल बा....बुझाता कि पूरा गाँव जवार के लइका मेहरारु बुढ़ चलल चल आवत बा.... साल सूटर लेके सभे आ गइल बा।
सांस्कृतिक सत्र के शुरुवात भ गइल...स्थानीय संगीत विद्यालय के छात्रा लो गाना प्रस्तुत कर रहल बा...मुरारी जी के बांसुरी के तान एगो अलग आनंद के सागर में गोता लगा रहल बा।
इ कार्यक्रम खतम भइल सभे ताली बजा के छात्रा लो ले उत्साह वर्धन कइल।
स्टेज पर बैंजो आ ढोलक सेट होखे लागल..संजय भइया मंच से घोषणा कइनी कि  शैलेंदर मिश्रा जी आई आ कार्यक्रम के शुरुवात करीं.....
शैलेंदर जी के स्टेज पर आवते लइकन में उत्साह बढ़ गइल बा....हेने असित बाबा आ सुधीर बाबा हंस रहल बालो..सिरीमुख बाबा भी कम खुश नइखी....गाना शुरु हो गइल...वन्दना शुरू...
"प्रथम नमन करीं गुरु जी गोसंइयां के" वाह एगो शमा आ माहौल बन गइल...केहू अपना जगह से हिलत नइखे....इहे शैलन्दर जी के खासियत ह।
ली इहे अब चन्दन तिवारी जी मंच पर आ गइल बानी....बबीतवा के माई पिंकिया के माई से कहतिया...सुनतानि जी हई लइकिया के नाव चन्दन ह.....ममता हंसतीया.."ए राम इ त लइका के नाव ह रे"...पिंकिया के माई बतावतिया...चुप रहबे की ना रे...अरे बड़ा नीमन गावेली  हो..गला में इनका सुरसती जी बसेली....आ संगवा में देख देख इनकर माई भी रहेली...होह बाड़ी।
चन्दन आपन गाना शुरु क दिहली...सभ ध्यान से सुन रहल बा...संजय भइया निरगुन के फरमाइस कइले बानी....
एक दिन जइबू गोरिया पीया जी के घर..तोहार छूटी नइहर"..
ओह..बलदेव बाबा निरगुन सुनके उदास हो गइले...ओह सांचो अब नइहर छूट जाई का.. पियवा के घर जाए के पड़ी...चन्दन के आवाज में इ निरगुन सुनके मन एकदम शांत हो जाला...संसार असार नजर आवे लागेला..ली रस परिवर्तन भइल...रांची से चल ले आइल अंतरराष्ट्रीय स्तर के नर्तक बिपुल नायक जी अब स्टेज पर बानीं... एगो दिव्य स्वरूप एगो अतना बड़ कलाकार जेकरा बारे में बतावे खातिर शब्द   कम पड़ जाई...
साथ में उनकर छात्रा लो एक ड्रेस में .."पीया मेंहदी माँगा द मोतीझील से जाके साइकिल से ना"......देखते दर्शक दीर्घा में मेहरारू आ लइकि लो में एगो अलग जोश के संचार हो गइल बा। एह अद्भुत नृत्य  के देख के सभके अगहन में सावन के एहसास हो रहल बा...
अब आ गइनी शैलेंदर मिसरा.....भोजपुरी गायकन के दुर्दशा पर उहाँ के व्यंग सभके हंसा रहल बा सभके गुदगुदा रहल बा....
"कैसेट गावत गावत फिलिम में फिट हो जाई....."
अब आ गइनी चन्दन जी.....उहाँ के सधल आवाज में .. फगुनवा जियान हो जाई सुनके सभे अगहन में  सावन के बाद फागुन के  अनुभव करे लागल.....
एक बार फेर विपुल नायक जी के टीम...चन्दन जी के गाना..".लिख द हरी जी के नाम हो कंगनवा बीच ना"...... एह अद्भुत प्रस्तुति के देख के पिंकिया के माई आ बबलुआ के माई में कुछ बात भइल...अपना अपना हाथ पर अपना अपना हरी जी के नाव देख रहल बा लो......
ली अब रवीश कुमार शानू जी आ गइनी रस परिवर्तन खातिर....".काबा में याद आवेला काशी कबो कबो" सूना के सभके मन्त्र मुग्ध क दिहनी...नबीन भइया एक एक गो शेर पर वाह वाह कह रहल बानी..साथ में अतुलवा आ आदित्य भाई निराला भइया बइठल बा लो...
अब एक बार फेर मंच विपुल नायक जी के हवाले....भोजपुरी के शेक्सपियर महान लोककलाकार हमनी के पुरोधा आदरणीय भिखारी ठाकुर जी के विदेसिया में रचल बारहमासा प्रस्तुत होखे जा रहल बा......
"आई जब मॉस भादो सभे खेली दही कादो ए ललना कृष्ण के जनम बीती असही बटोहिया"।
एह हृदय विदारक पंक्ति पर करेजा फॉर अभिनय देखके सभके आँख नम हो गइल....मेहरारु लो के आँखि के कोर भींज गइल बा....विपुल जी के सम्मान में सभे खड़ा हो गइल।
एक बार फेर विपुल नायक जी चन्दन जी के आवाज में सोहर पर भाव नृत्य प्रस्तुत करके सभके रोवा दिहनी....गर्भावस्था में नव महीना में कतना स्त्री दुःख उठावेले एकर वर्णन करेजा के बेध देत बा...
आगे चन्दन के आवाज में गान्ही जी पर विपुल नायक जी के छात्रा लो के सधल प्रस्तुति.कमाल के बात इ बा की एह आठो  लइकी में से केहू भोजपुरी समझेला ना......लेकिन भाव देख के सभका मुंह से एकही बात निकलत बा....अद्भुत।
श्रोता में जे जहाँ बा ओईजा से अपना मोबाईल में सहेज रहल बा....रिकार्डिंग आ फोटोग्राफी खातिर भीड़ लागल बा ताकि सब एह अद्भुत रात के संजो ले रख लेव.....
अब अंतिम प्रस्तुति के बारी...मंच पर बाड़ी हमनी के आखर परिवार के सबसे  छोट सदस्य..हमनी के चाचा आदरणीय उदय नारायण सिंह जी के बेटी..अनुभूति शांडिल्य...अनुभूति ट्रेन से 24 घण्टा यात्रा करके आवत बाड़ी थाक गइल बाड़ी लेकिन चेहरा पर एगो अलग आत्म विश्वास ।
उनकर इ ले दे के चौथा प्रस्तुति ह.....
स्टेज पर उदय चचा कुंवर सिंह के बारे में बता रहल बानी..जवन  अस्सी साल के उमिर में ब्रितानी हुकुमत के हिला के  देले रहे।
अनुभूति अब मंच पर....हरी हरी बोल..बोलब त बोला हो जवनवा.....वाह...एक साथ करुण रौद्र आ श्रृंगार रस के वर्णन..सभके मुंह से इहे निकलत बा...वाह तीस्ता बाह...
बंगला में उड़ेला अबीर सुनके एक बार फेर सभ खामोश बा.....अगहन में फागुन के महसुस करके सभ आपन पूरनीया महान भोजपुरिया बाबू कुंवर सिंह के नमन करत बा।
एगो शानदार कार्यक्रम खतम भइल...मंच पर सञ्चालन के जिम्मा निभावत संजय भइया आ गइल बानी....
सभ कलाकार लो के सम्मान हो रहल बा...निराला भइया ब्रिज चचा आ संजय भइया मिलके सभके सम्मान कर रहल बा.....
संजय भइया सबसे आपन आपन राय देबे के निहोरा करत बानी ताकि....अगला साल और अच्छा से अच्छा  कार्यक्रम होखो...... उदय चचा विपुल नायक आ शैलन्दर मिसिर आपन राय रखल लो सभे ताली बजा के स्वागत कइल।
अब चन्दन जी के बारी...ली अब चन्दन जी मंच पर अतुल के बोला दिहली....फेर से तबला निकलल....आ कार्यक्रम के समर्पित एगो लोक गीत पर उहाँ के रचना....सभके मन आनंदित हो गइल।।
ली अब ठुमरी..हमरी अटरिया पर अजा रे साँवरिया।
सभे वाह वाह वाह कर रहल बा...कुछ लोग चिहा रहल बा की अतुलवा आतना नीमन तबला भी बजावेला ए भाई गजब....नबीन भइया आ यशवन्त चाचा वीडियो बना रहल बा लो....
अंत में उदय चाचा आ गइनी...भोजपुरिया रे....सभ सुन के सीना फुला लिहल....मंच से अतुल के सम्मान भइल....
कार्यक्रम समाप्त....
अब जेकरा जाए के बा उ जा रहल बा.....फेर आवे अगीला साल आवे के बादा करके।
केहू के भूख लॉग गइल...होने असित मिसिर आ सुधीर संगे सिरमुख बाबा सूत गइलन ए भाई......
नबीन भइया शलेन्दर से कहत बानी..की सबेरे संगहि जाए के बा बलिया....
कुछ लो के खाना पीना भइल..अजित भइया आ ब्रिज चचा उदय चाचा के गाडी में गइल लो।अमित भइया के संगे अनिमेष भइया आ देवेन्द्र भइया गइल लो।
बचल खुचल लो....सबेरे..राजिव भइया नबीन भइया  के संगे संजय भइया के दुआर पर...चाय पानी बात बतकही हो रहल बा....एह सफल कार्यक्रम के गवाह बनके सभे अघा गइल बा। सभ कहत बा की दू दिन के रहित त बड़ा मजा आईत।
अब चले चले के बेरा...सभ छोट अपना बड़ के गोड़ लॉग रहल बा....
नबीन भइया के गोड़ लागते चन्दन के आँख से आंशू निकल गइल....काहे ना भाई उनकर विदेस जा रहल बा....इहे त हमनी के भोजपुरिया संस्कार ह...हमनी के विरासत जवना पर हमनी के गर्व बा....जवना के बचावे खातिर आखर एह आंदोलन के खड़ा कइले बा।
उम्मीद बा इ सिलसिला लगातार चली और लगातार बढ़ी....और एक दिन भोजपुरी के ओकर आपन मुकाम सम्मान  देके रही।
जय भोजपुरी। जय आखर।

2 comments:

  1. एक दिन भोजपुरी भाषा को आप पर गर्व होगा

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