पिछले दिनों दादरी में उमड़ी गौ माता के रखवालों की उग्र भीड़ और कल परसो मुज्जफरनगर ,बरेली में अल्लाह के बन्दों की भीड़ में कोई ख़ास अंतर नहीं है...बस इतनी सी बात है कि गौ माता के रखवालो ने किसी इकलाख की जान ले लिया और अल्लाह के रखवालो को जान लेने का अवसर नही मिला क्योंकि कमलेश तिवारी उनके सामने नहीं था।
बकौल युवा हृदय सम्राट अकलेस भाई 'उम्मीदों का प्रदेश उत्तर प्रदेश' पांच घण्टे भयंकर दहशत और ख़ौफ़ में जीता रहा..."गर्दन काटने पर लाखो इनाम देने की घोषणाएं होती रहीं और इस्लाम को बार बार खतरे में बताया गया....घण्टो लोग डर के मारे घरों में दुबके रहे..मने अभी इस्लाम खतरे में है क्या पता कब क्या हो जाय...किसकी जान चली जाये...
मुझे नहीं पता कि ये धर्म हर चौथे दिन खतरे में कैसे पड़ जाता है...
लेकिन मजे कि बात ये है कि जिस कमलेश तिवारी को लेकर इतना बवाल मचा है उससे, हिन्दू महासभा ने भी पल्ला झाड़ लिया है। ये बताकर कि हिंदू महासभा न इनके बयान का समर्थन करती है न ही इसका किसी कमलेश तिवारी से सम्बंध है....2008 में ही इस कमलेश तिवारी के अमर्यादित आचरण से आहत होकर महासभा ने बर्खास्त कर दिया है....यहाँ तक कि अपने इंटरव्यू में महासभा के अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि ने इस तिवारी को कानून सम्मत कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर डाली है...
हंसी आती है.हमारे बुद्धिजीवी कह रहे कि देश में असहिष्णुता बढ़ गयी है। क्या कहेंगे अब...
लेकिन हाय रे भारत के सेक्युलर बुद्धिजीवी किसी ने एक बार भी नहीं कहा कि ये मुज्जफरनगर और बरेली में क्या हो रहा है?..किसकी जान लेने कि तैयारी चल रही है.....ये दोनों भीड़ एक सी है..जिसकी जितनी निंदा कि जाय कम है.....लेकिन यहाँ कोई पुरस्कार वापसी नही...न ही किसी ने जान लेने पर आमादा इस उग्र भीड़ के लिये एक शब्द कहे...न किसी ने देश छोड़ने की धमकी दी।
बस इस एक उदाहरण से आप भारतीय बुद्धिजीवियों का चरित्र चित्रण कर सेक्यूलरिज्म कि परिभाषा से अवगत हो सकतें हैं...और आपके पास तीस चालीस लाख है तो उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग में अच्छा खासा निबन्ध लिखकर एसडीएम हो सकतें हैं।
क्या करेंगे..दोष इनका भी नहीं... बेचारी बुलेट ट्रेन ने अभी सबको उलझा रखा है...सब उस पर सवार होकर मुम्बई से अहमदाबाद की यात्रा कर रहे हैं....फुर्सत ही नहीं...उस ट्रेन में ए राजा कलमाड़ी,कनिमोझी, और वाड्रा के साथ बैठकर बुलेट ट्रेन से होने वाले नुकसान कि चर्चा में मशगूल हैं....
पर किसी को इस बात कि चिंता नहीं कि राष्ट्र माता और उनके बेटे ने संसद नही चलने दिया और मौजूदा शीतकालीन सत्र में जीएसटी पास नहीं हुआ तो भारत को नौ लाख करोड़ का नुकशान होगा..साथ ही ऊँची विकास दर का सपना धरा का धरा रह जाएगा।
बस ISO सर्टिफाइड ईमानदार बाबा युगपुरुष जी कि कसम भगवान दुश्मन को भी बुद्धिजीवी न बनाये। और बनाये तो सेक्यूलर न बनाएं।
बाकी जवन है तवन हइये है।
बाबा फलाना बनारसी 'बलिया वाले'
इस देश का दुर्भाग्य है जो दोगलई सेकुलर की आड़ में शिकार करती आई है ...लिखते है आप कमाल का
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