Thursday 14 April 2016

अम्बेडकर को संकीर्ण न बनाइये..

फेसबुक पर कुछ दलित चिंतक बाबा साहेब के बहाने ब्राह्मणवाद,मनुवाद और सवर्ण जैसे शब्दों को पानी पी पी कर गरियाते हैं..मानों फेसबुक से निकल हाथ में तलवार लेंगे और सवर्णों का नाश ही कर डालेंगे अब.

इनसे पूछने का का कई बार मन होता है मेरा..."हे बुद्धिजीवी..हे महात्मन्..सामाजिक समरसता के नाम पर जहर फैला रहे प्रदूषित आत्मा..
क्या आप जब ब्राह्मण को गरियाते हैं तो  महादेव अम्बेडकर को गाली नहीं देते..जिसने बाबा साहब को अम्बेडकर सर नेम दिया था. उनको भीमराव से अम्बेडकर बनाया था...जिसने पुत्रवत  स्नेह किया था. सदैव एक गुरु की भाँति मार्गदर्शन किया था..

क्या जब आप ब्राह्मण को गरियातें हैं तो डा शारदा कबीर को गाली नहीं देते..जिन्होंने पत्नी बनकर बाबा साहेब की मरते दम तक सेवा किया था..?
क्या आप जब सामंतों को गरियातें हैं तो महाराज बड़ौदा सयाजीराव गायकवाड़ को नही गरियाते जिनकी फेलोशिप पर बाबा साहब पढ़ने विदेस गये थे।

अरे आप तो इतने अंधे हैं,इतने कृतघ्न हैं कि आपने इस ब्राह्मण गुरु और पत्नी के साथ उस महाराजा का आज तक जिक्र नहीं किया..
और मुझे तो कई बार लगता है कि आज बाबा साहेब होते  तो आपके ही हाथों वो मारे गये होते..
क्योंकि आप विरोध में इतने अंधे हैं कि आपको जब पता चलता की वो आरएसएस की  सराहना भी कर रहें हैं तो आप उनको बेवकूफ कह देते.
जब जानते कि वो मार्क्स को खारिज कर बुद्ध को आत्मसात कर रहें हैं तो आप उन्हें पता न क्या क्या कह डालते..
कुछ दिन बाद पता चलता संस्कृत को अनिवार्य करने की सोच रहे हैं.तो आप उन्हें भी मनुवादी कह देते.
फिर पता चलता आरक्षण को सिर्फ दस साल तक ही जरूरी मान रहे हैं..तब उन्हें भी आरक्षण विरोधी कह देते.

अरे अम्बेडकर को अपने जैसा संकीर्ण न बनाइये.

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