बड़ी गर्मी है..पारा 40 के ऊपर जाने को बेकरार है..
माथे पर पसीना..सड़क पर भीड़..गलियों में गहमा-गहमी.
हर घर में घँटीयां टनटना रही हैं..कहीं शंख बज रहा..तो कहीं पाठ शुरू हो गया..तो कहीं पंडी जी नहीं आये..तो कहीं कलशा नहीं आया..हाय!
आज विश्वनाथ मन्दिर से सरक कर सब लोग शीतला घाट की तरफ चले जा रहें हैं..
हर हाथ नारियल,फूल,माला चुनरी है.
कमला चाची और नेहा भाभी टाइप लोग हल्का सा घूंघट निकाल कर तेज धूप से खुद को बचा भी रही हैं..
कुछ भाभियां हल्का सा मुंह बनाकर सेल्फ़ी ले रहीं हैं..मानों पूजा करने से पहले ही फेसबुक अपडेट कर देंगी.."फिलिंग आध्यात्मिक विथ चिंटु के पापा एट शीतला मन्दिर.."
लिजिये इधर लन्दन की जेनी,और सिडनी की साशा टाइप विदेसी बालिकाओं ने आज पूजा करने के लिये साड़ी पहनने का साहसिक फैसला कर किया है.. हाथ में नारियल लिये खड़ी हैं..साड़ी और पल्लू बेचारे सम्भलने का नाम ही नहीं ले रहे हैं...
फिर भी जेनी और साशा इस परेशानी में बड़ी मासूमियत से मुस्कराये जातीं हैं..मानों आज ही साड़ी पहनने का कोई सार्टिफिकेट कोर्स करेंगी।
कमला चाची,और नेहा भाभी टाइप लोग
इस पूरब से पश्चिम के अद्भुत मिलन में साड़ी की दुर्दशा देख हंसती भी हैं...लेकिन मजाक उड़ाने के उद्देश्य से नहीं।
इतने में लाइन में धक्का मुक्की शुरू हो जाती है...
"बोला बोला शीतला माई की जय...हर हर महादेव.."
इधर जिन लौंडों को नवरात्रि में ही भक्ति भावना जगती है.वो भी आज अपनी अपनी सोना,मोना,स्वीटी के साथ हाथ पकड़ मन्दिर में घण्टी बजाने चलें जा रहें हैं..मानों आज सात फेरों के सातों वचन लेकर ही मानेंगे.
इनको देखते ही लग रहा आज राजश्री प्रोडक्शन अपनी किसी आने वाली फ़िल्म की शूटिंग कर रहा है.....
देखो तो जरा..ये इतने नेक और संस्कारी प्रेमी..नज़र न लगे हे शीतला माई इनको..
"हाय! मेरी पिंकी...तुम कहाँ हो...."?
लिजिये अब जरा आगे आइये..यहाँ चाय के पियक्कड़ों में देश दुनिया और राजनीति पर बेहिसाब चर्चा चलायमान है.. अभी-अभी लाली गुरु अखबार उठाकर फ़ेंक दिये हैं..
"सरवा इ हमका समझ में नहीं आ रहा कि अकलेसवा आ अरबिंदवा में कवन सबसे जादे पब्लिक को चूतिया समझता है."?
सरवा रोज दू-दू पन्ना का परचार..हद हो गया बे..कइसे आदमी अखबार पढ़ेगा...आधा अखबार परचार से भरा है..सरसों तेल आ जापानी तेल पढ़- पढ़ के तो मन अइसे ही उकता गया है..
अब इ सब दू दू पेज क केजरीवाल आ अकलेस को कौन झेलेगा..?
अरे काल्ह मोदिया जइसन इ सब परधान मंत्री बन जाएँ तब भर अखबार तो इनके फ़ोटो ही छपेगा.. ." क रे?
कहो राइ जी..इ बतावा मरदे..इहे दू जना देश में मुख्यमंत्री हवें..आयं?..
हम चुप हैं...लाली गुरु एकदम गरम हैं...
हम उनको अभी एतना ही बतायें हैं...
"एहमा अखबार का दोष नही चचा..25 लाख आपो देंगे आपका भी परचार छप जायेगा..."
लाली गुरु ये सुनकर भावुक हैं. हाय 25 लाख..एक दिन के लिये...सुबह कुछ घण्टे के लिये..
सोच रहे हैं..उनके पास 25 रुपया भी नहीं होगा अभी..आज ठेला तो लगाया ही नहीं....कहाँ से होगा.?
अखबार रख हमसे कहतें हैं...
"सब सारन के मोदीया से पनरह लाख चाहीं.....इ 25-25 लाख में आपन फ़ोटो छपवावत हवें...इ जनता के ही पइसा ह न"?..'
बगल में पल्टू नाव वाले ने चचा को पानी देकर समझाइस दिया है.."शांत हो जा चचा..नेता आ राजनीति के बात ना करे के चाहीं सुबह-सुबह.
माथा खराब होला... ला अब..9 से आईपीएल शुरू होइ गुरु..एकदम चउचक..देखा लपालप चौका छक्का...मजा ला..'
इधर अब टॉपिक चेंज..मोदी,केजरीवाल अखिलेश यादव को हटाकर सुस्ताने के लिये एक साइड में कर दिया गया है..अब आ गये हैं....शिखर धवनवा..विराट कोहलीया..धोनीया...सुरेश रैनवा...और किरिस गेलवा..
चौके छक्के लग रहे हैं..आउट,मैन ऑफ द मैच,सीरीज आ कैच लिया दिया जा रहा.
खिलाड़ियों के नामों के साथ बनारस गालियों का अद्भुत मिश्रण वातावरण को अपनी बनारसी संस्कृति से परिचय करा रहा है..
हाँ..नवजोत सिंग सिध्दू को अपना क्रिकेट ज्ञान और कमेंट्री ज्ञान बढ़ाना हो तो रजा बनारस में जरूर आएं..यहाँ उनके पांच फेल दादा गुरु लोग उनका ऐसा बौद्धिक विकास करेंगे की हंसना भूल जाएंगे.
हम अपने क्रिकेट के प्रति अपनी उदासीनता को कोसते हैं. वही.बुर्जुवा हिप्पोक्रेसी।
इतने गाँव से माता जी का फोन आ गया.आवाज आती है..
"बबुआ पूजा पाठ किये?..मन्दिर गये..व्रत मत रहना .हम सब हैं न."
यहाँ पाठ बैठ गया..ललन चचा दियां ढकनी कलशा देकर गये थे.पंडी जी भी आये थे..इक्कीस में नहीं मान रहे थे तो एकावन दे दिये हैं.
माताजी के आवाज में उत्साह मिश्रित चिंता मुझे आश्वस्त करती है..
और भला क्यों न हो ये उत्साह ?.ये निम्न मध्यम वर्गीय परिवार की उस लाखों माँ की आवाज है जो कोने-कोने में गेंहू,सरसों,जौ,चना देखकर खुश है..एक किसान की सबसे बड़ी यही तो सम्पत्ति है..
आज अनाज से सबका घर भर रहा है..पवनी-पसारी को भी अनाज दिया गया है..सब खुश हैं...
आज गोबर से आँगन लीपा गया है..अब तो नया गेंहू से नवमी को पुजाई होगा। कलशा धरायेगा गीत गाया जायेगा...
माता जी रात हर जगेंगी आ गायेंगी..
"जवनी असिसिया मइया मलिया के दिहलु हो की उहे असिसिया ना
हमरा अतुल बाबू के दिहतु हो उहे असिसिया ना.."
लेकिन अतुल बाबू के भाग्य में कहाँ की ये गाते हुये सुन लें माँ को..उस दिन तो कहीं बाहर ही रहना है....
देखता हूँ पेड़-पौधे हरे-हरे पत्तों से भर गयें हैं...प्रकृति में नवीनता आसानी से ये एहसास करा रही है कि नव वर्ष के मायने क्या होतें हैं.?
आज अस्तित्व ही एक नयी ऊर्जा और नयी आशा से भर गया है.
कहतें हैं सम्राट विक्रमादित्य ने शकों को पराजित करने के उपलक्ष्य में जब ईसा से 57 वर्ष पूर्व विक्रमी संवत शुरू किया था तब परम्परा के अनुसार अपने राज्य के सभी गरीबों के ऋण को चुका दिया था..
लोग धन धान्य से भरपूर हो गये थे.
आज तो विक्रमी संवत सिर्फ एक धर्म विशेष से न होकर सम्पूर्ण विश्व के प्रकृति,खगोलीय सिद्धांत,ग्रह और नक्षत्रों से सम्बंधित हो गयी है..इनकी चाल और स्थिति पर ही हमारे दिन,साल और व्रत और त्यौहार हैं.
ये भारतीय काल गणना सटीक होने के साथ-साथ राष्ट्र की गौरव शाली परम्परा और ज्ञान का बोध भी कराती है..
कहीं आज ही के दिन आंध्र प्रदेश में उगादी,महाराष्ट्र में गुड़ी पड़वा, सिंध में चेती चाँद, और जम्मू-काश्मीर में नवरेह भी मनाया जाता है....सबको बधाई पहुंचे....
आप सभी मित्रों को भी नवरात्रि.. और नव वर्ष विक्रम संवत 2073 की हार्दिक शुभकामनाएं।