Wednesday, 20 April 2016
नागिन डांस मुक्त बिहार..
Sunday, 22 November 2015
जीवन यात्रा ही तो है....
आज आरा जिला का गुड्डूआ खूब खुश है. सांवला सा दुबला चेहरा..धसे हुए गाल..एक अर्धविक्षिप्त बैग में बेतरतीब ठूसे कपड़े..पढ़ाई लिखाई की बात करेंगे तो गुड्डआ बिहार के दर्जनों मंत्री जी लोगों से ज्यादा पढ़ने के बाबजूद जोधपुर में लेबर है..क्योंकि उसके बाबूजी का नाम लालू तुरहा है..लालू यादव नहीं..वो खेती करतें हैं राजनीति नहीं...दीवाली आ छठ में गुडुआ को छुट्टी नहीं मिला तो आज गाँव जा रहा है.काहें कि उसके चाचा के बेटे बबलुआ का बियाह है.....
गुडुआ बाल सरुख खनवा इस्टाइल में कटवा कर मिथुना स्टाइल में रंगवा लिया है..मुंह में पान बहार और हाथ में एक हजार वाला चाइना का मोबाइल.....मोबाइल में सीरी खेसारी लाल जादब जी विरह भाव में अश्लील भाव को मिलाकर रस सिद्धान्त के सूत्रों से सार्वजनिक मजाक कर रहें हैं.. ... "ए रजउ घरे आइबा की ना आइबा...ए रजउ बाजा बाजी की ना बाजी'..
गुडुआ गाना सुनने में मगन है...आस पास दो चार स्थानीय राजस्थानी बन्धु भी उस गाने का मजा ले रहे हैं....मैं सोचता हूँ "चलो अच्छा है। शुक्र है इसका मतलब नहीं समझते वरना गुड्डआ अबे खेसारी लाल को छोड़कर मदन राय का निरगुन सुनने लगता"..
तब तक पता न क्या होता है...खेसारी लाल का फटा मुंह बंदकर गुड्डआ हमसे मुखातिब होता है...हाथ में खैनी मलना छोड़ पर्स से एक फ़ोटो निकालकर हमसे धीरे से कहता है..."जानते हैं भइया..सरवा हई गनवा सुनते है न तो रोवाँ रोवाँ मेरा हरियर होने लगता है....एतना मेहरारु का इयाद आता है न कि का आपसे कहें...केवनो काम में मनवे नहीं लगता है.
ए भइया..हमार मेहरारु को देखेंगे न तो देखते रह जाएंगे...एकदम सीरीदेबिया जैसी है....आ स्वभाव से एकदम रधिका जी..आज तक कुछु नहीं मांगी हमसे...बाकी ए भइया एह बेरी के कम्पनी में ओभर टाइम करके मेहरारू के लिए कान में के बाली बनवाएं हैं....."
गुड्डआ के प्रेम और पत्नी के लिए सम्मान का भाव देखकर मन प्रसन्न हो जाता है मेरा...
सोचता हूँ क्या ट्रेजडी है अभी भी इस 4G के जमाने में भी किसी गुड्डआ को अपनी मेहरारू का फ़ोटो पर्स में रखना पड़ता है.....
खैर सामने वाली सीट पर दो चार चालीस पचास के अंकल जी...एक दो आंटी जी लोग घर परिवार की समस्यायों को ट्रेन में सुलझाने का काम कर रहें हैं....इनकी बातों को सुनने के बाद यकीन हो जाता है कि देश में कोई समस्या नही है..सारी समस्या इनके परिवार में है।..
मेरे ठीक ऊपर वाली बर्थ पर विवाहित सुंदर युगल विराजमान है.... हैसबेंड जी बेचारे इसी में परसान हैं कि उनकी छूई मुई सी वाइफ जी को कोई कष्ट न हो....कभी हाथ से बिस्कुट खिलाते हैं...कभी एक घूंट चाय पिलाकर दूसरी घूंट के लिए चाय के गिलास के रुख में मुख परिवर्तन करतें है ....तेरह बार पूछते है..."बाबू और खाएंगे...बाबू थोड़ा सा..बाबू प्लीज मेरे लिए...उनकी बाबू मूड़ी हिलाकर खाने से इनकार कर देती हैं ..ओह..इस दिव्य प्रेमालाप को देखकर मुझे इस दुर्लभ पति को राष्ट्रीय दुर्लभ पति सम्मान से नवाजने का मन करता है तब तक हमारे बगल में बैठी आगरा जा रही दादी ये बताकर मेरे सम्मान समारोह पर पानी फेर देतीं हैं कि...."अभी नई नई शादी है"
दादी द्वारा इस दिव्य रहस्य को उद्घाटित करने पर मुझे उनके चरण स्पर्श करने का मन करता है
चाय पानी भूजा बिस्कुट नमकीन कोल्ड्रिंक वाले आ जा रहें हैं..
लेकिन घर में बने चार पूड़ी और एक आलू की भूजिया आम के अँचार के आगे आईआरसीटीसी के पैक्ड ब्रांडेड खाने को न्यौछावर कर देने का मन करता है.....
आज फिर यात्रा में हूँ..मन भी उदास है...आठ खूबसूरत दिन बिताकर राजस्थान छूट रहा...कितने अनजाने मित्र बन गए..सब आते वक्त कितने उदास थे..कल अमित भइया हमारे फेसबुक मित्र ने अपनी कार में बैठाकर राजस्थान का रात्रि दर्शन कराया....एक अद्भुत अनुभव से गुजरना हुआ...उनकी आत्मीयता से अब तक मन भीगा हुआ है.....अब यकिन ही गया है कि फेसबुक को आभासी कहने वाले नकली किस्म के लोग हैं..
बस रह रह के उदासी घेर लेती है..इधर सोचता हूँ कि ये समग्र जीवन जीवन यात्रा ही तो है.हम रेल हैं.एक एक दिन एक एक पड़ाव है...न जाने कितने गुड्डआ और दादी और राजस्थान के साथ अमित भइया से मिलना है अभी....ओशो एक जगह बड़ी खूबसूरत बात कहतें हैं.....की जीवन में कहीं चढ़ना होता है तो कहीं उतरना होता है..तब कहीं जाकर पहुंचना होता है..
इसी पहुंचने की उम्मीद से राजस्थान से विदा.आगे कुछ दिन गाँव फिर उड़ीसा और बंगाल की तैयारी......
आज रह रह के नासिर काज़मी साब याद आ रहें हैं..और बनारस से ज्यादा बलिया भी।
तेरे क़रीब रह के भी दिल मुतमईन न था
गुज़री है मुझ पे भी ये क़यामत कभी-कभी
कुछ अपना होश था न तुम्हारा ख़याल था
यूँ भी गुज़र गई शब-ए-फ़ुर्क़त कभी-कभी
ऐ दोस्त हम ने तर्क-ए-मुहब्बत के बावजूद
महसूस की है तेरी ज़रूरत कभी-कभी
Monday, 9 November 2015
जिंदगी पॉलिटिक्स नहीं है.....
उसको तो इस बात कि चिंता खाये जा रही कि उसकी 'पटाखा' इस बार दिवाली में घर आई है या नोएडा में बीटेक्स की पढ़ाई ही कर रही है ?.. देखिये न बेचारे का मुंह जले हुए फुलझड़ी जैसा हो गया है।
वो भी क्या दिन थे जब मंटुआ ने काली माई डीह बाबा को प्रसाद चढ़ाकर हनुमान चालीसा पाठ के बाद डरते डरते "आई लभ यू स्वीटी जी " कहा था...बाकी जबाब तो कुछ आया नहीं.. उल्टे मोहतरमा ने बेचारे को फेसबुक पर भी ब्लाक कर दिया...हाय..दिल टूट के बिहार हो गया था उसका.केतना एन्जेल प्रिया टाइप फेक आईडी बनाकर रिक्वेस्ट भेजा.. बाकी सब ब्लॉक।
उसे समझ में नहीं आ रहा था कि वो इंजिनियरिंग पढ़ने गयी है या दिल तोड़ने का कोई डिप्लोमा करने। बहुते रोया था।
आज सुबह से उसी के ख्यालों में खोया है...आ जाती तो एक बार देख तो लेता...अल्ताफ राजा और अगम कुमार निगम के सात पुश्तों की कसम.. अपना न हुई तो क्या हुआ.?..पेयार तो आज तक उसके लिए दिल के इनबॉक्स में सेव है..... पता न छह महीना में केतना मोटाई आ दुबराई है...बीटेक में एडमिसन से पहले केतना नीक लगती थी न.. देखते ही लगता था जैसे लंका वाले पहलवान ने अभी अभी लौंगलता छानकर निकाल दिया हो.....
हाय...जबसे मोहल्ले से गई तबसे लौंडे विधवा हो गए।...उधर वो बीटेक्स करने लगी इधर मोहल्ले के सारे लौंडे विद्यापीठ में नेता हो गये..बचे खुचे समाजवाद में ठीकेदार बनकर सड़क बिगाड़ने का काम करने लगे।..
अब यही होली दिवाली में आती है.. सो सभी दिल जलों को उसके छत पर दिया जलाने का इंतजार रहता है.... तभी लगता है दिवाली है। वरना स्वीटी के बिना मोहल्ले की दिवाली और मुहर्रम में कोई अंतर नहीं।
खैर छोड़िये महराज इ सब..आज हमारी खेदन बो भौजी मारे ख़ुशी के उछल कूद रहीं हैं.. गोड़ जमीन पर नहीं पड़ रहा...कल ही से स्वच्छ घर अभियान जारी है....उनके घर आँगन गली से माटी की सोंधी सोंधी खुश्बू आ रही है...गाय के गोबर से आँगन लीपा रहा है...सरसों तेल पेराकर आ गया..नया धान का चूड़ा भी कूटा रहा है गोधन बाबा के लिए...एक अजीब सी सुगन्ध चारो ओर फैली है...आज भौजी का परेम इतना न फफा रहा है कि ख़ुशी के मारे दो बार आँगन बुहार दिया है..कमबख्त इस whats app फेसबुक के जमाने में भी छत पर कौआ काँव से बोल जाता है..और भौजी शरमाकर मुस्करा देतीं हैं....
मुझे अपना वो भोजपुरिया लोकगीत याद आता है.....
जिसमें बिरहन कौवे से कहती है...
"सोने से तोर ठोर मढ़वइबो आपन बेच कंगनवा..अंगनवा कागा बोले रे..."
बिरहन कहती है कि "बता दो कागा आज बलम जी आएंगे या नहीं."...लालच देती है कागा को कि सच सच बता दो...मैं अपना सोने का ये कंगन बेचकर तुम्हारे इस चोंच को सोने से मढ़वा दूंगी...मने लोक में उच्चस्तर का साहित्य सिर्फ राजस्थानी लोकगीतों में ही नहीं होता साहेब... इस एक गीत पर सब रीतिकाल को न्यौछावर कर देने का मन करता है मुझे।
तभी तो खेदन बो भौजी भी कौवे से इसी अंदाज में बतीया रहीं हैं...पता है क्यों?....अरे आज डेढ़ साल बाद उनके खेदन सिंग बलमुआ पवन एक्सप्रेस से घर जो आ रहें हैं....उनके लिए कंगन हार नथिया सब बनवाकर ला रहे हैं।
इधर हमारे अकलू काका कुम्हार भी बड़ी ब्यस्त हैं.. जबसे मोदी जी ने मन की बात में सबको माटी का दिया खरीदने कि बात की है तबसे इतना न डिमांड हो गया है कि आज सात दिन से लगातार दिया ही बना रहें हैं......कितने खुश हैं इस बार....हर साल बेचारे बाजार से चाइनीज बत्ती बेचने वालों को गरियाकर चले आते थे....लेकिन इस बार. तो भाव टाइट है चचा का...दिया बेचकर ददरी मेला नहाने जाएंगे। आ गुरही जिलेबी खरीदेंगे....
मैं क्या करूँ...इस फेसबुक को बार बार देख रहा..दो चार दिन से हर आदमी बुद्धिजीवी और चुनाव विश्लेषक हो गया है...अपने बेटे बेटी का खबर न रखने वाले कामरेड रामलाल बिहार का भविष्य बाँच रहें हैं.... उनके साथ असली आम आदमी भी बहुत खुश हैं..मोदीया हार गया। कोई हार के गम में छाती पीट रहा है।
सोच रहा किस पर तरस खाऊँ...उस मंटुआ खेदन बो भौजी,अकलू काका या फेसबुक के इन बुद्धिजीवीयों पर...
शायद ये नहीं जानते कि मंटुआ का इंतजार कितना प्यारा है..... खेदन बो भौजी की ख़ुशी किसी बिहार के जीत की ख़ुशी से हजार गुना भारी है....अकलू काका के दिए में उम्मीद की जल रही लौ कितनी सुंदर है.....
दिल से हूक उठती है...."अरे ये बहस बन्द करिये महराज...आप मानसिक बीमार हो जाएंगे कुछ दिन में...बाहर आइये....दीपावली आ गया..हंसी ख़ुशी से मनाइये....किसी गरीब से दो चार दस दिया बाती खरीद लिजिये....किसी बुजुर्ग रिक्शे वाले को दो चार दस रुपया अधिक दे दीजिये.. अपनी कामवाली,अपने धोबी प्रेस वाला अखबार वाला से पूछिये की उनकी दिवाली कैसे मनेगी...?
अरे ये जिंदगी सिर्फ पॉलिटिक्स नहीं है....जिनकी जिंदगी ही पालिटिक्स है वो संसार के सबसे दुर्भाग्यशाली लोग हैं..करीब से देखियेगा कभी।..
ये जीवन तो संगीत है....जहाँ प्रेम एक राग है...होली दीपावली इसके शुद्ध स्वर हैं...जिससे ये जीवन संगीतमय प्रेममय और आनंदमय बनता है। बस
सबको धनतेरस दिवाली की शुभकामनाएं।