Saturday 16 April 2016

हम नफरतों के आदी होते जा रहे..

ओवैसी ने कहा था कि "मेरी गर्दन पर कोई छूरी रख दे तो भी मैं भारत माता की जय नहीं बोलूंगा"
बड़ी बवाल मचा था ..तुरन्त  बोलने और बोलवाने के बीच जंग शुरू हो गयी..
विपक्ष को एक बड़ा मुद्दा मिला.बुद्धिजीवियों को वैचारिक लाठी भांजने का एक हथियार..मीडिया को टीआरपी मसाला..

लेकिन इन सब शोर के बीच एक आवाज दब गयी.जो बनारस की उस मुस्लिम महिला  नाजनीन अंसारी की आवाज थी जिसने ललकार कर  कहा था..

"मेरी गर्दन पर कोई तोप रख दे तो भी मैं लाखो बार भारत माता की जय बोलूंगी"

अफसोस की ये समाचार मुद्दा न बना..न ही बनेगा..
जानते हैं क्यों?...क्योंकि मीडिया  नफरत बेचने की आदी हो गयी है..
धीरे-धीरे हम नफरत देखने सुनने के आदि होते जा रहे हैं.. वरना देश की बर्बादी का नारा लगाने वाले आज हीरो न बन जाते..

हमें कहीं थोड़ा बहुत प्रेम भी दिखता है तो उस पर सन्देह होने लगता है..दोष हमारा नहीं..हम आज विकट समय में जी रहें हैं.
नफरतों का बाजार सजा है.

अगर इसी महिला ने चिल्लाकर कहा होता   "मेरी गर्दन पर कोई तोप रख दे तो भी मैं भारत माता की जय नहीं बोलूंगी.."
तब आप देखते..कैसे लोग दौड़े चले जा रहें हैं इनका साक्षात्कार करने के लिये..बरखा राजदीप जैसे लोग इनको कन्धे पर झूला रहें हैं.
लाइव इंटरव्यू दिखाया जा रहा है..बड़े बड़े सम्पादकीय लिखे जा रहे हैं"

लेकिन नहीं इस महिला को इस चीज का कभी गम न रहा..न ही फेमस होने और हीरो बनने की कामना जगी.
इन पर तमाम फतवे भी जारी किये गये..मुल्ला जी लोग इनको धमकी भी दे चुके हैं..अभी भी जब तब  देतें ही रहतें हैं...
इसके बावजूद भी वो लगीं हैं..समाज को जोड़ने में. उस गंगा जमुनी तहजीब को कायम रखने में जो अब सिर्फ सुनने में ही अच्छी लगती है.

2006 में जब बनारस बम के धमाको से दहल उठा था..तब इसी  महिला ने  अपने 51 साथी महिलावो के साथ संकटमोचन मन्दिर में जाकर सुंदर काण्ड का पाठ किया था..
इन्होंने हनुमान चालीसा,मानस समेत कई हिन्दू धार्मिक  ग्रन्थों का उर्दू में अनुवाद किया है..
हर साल रामनवमी बड़े धूम धाम से मनाती हैं..
खुद राम जी के लिये कई भजन भी लिखा है.
नमाज भी जरूर पढ़ती हैं.रोजा रखकर ईद भी मनाती हैं.
क्योंकि इनका मानना है कि इनका  इस्लाम इतना कमजोर नहीं कि राम जी की आरती दिखाने..प्रसाद खाने मन्दिर,गुरुद्वारा और चर्च जाने से खतरे में पड़ जाएगा।

आरएसएस के राष्ट्रीय मुस्लिम मंच से इनका प्रगाढ़ सम्बन्ध है..
इन्होंने इन्द्रेश जी के साथ मिलकर बनारस की तमाम गरीब मुस्लिम महिलावों के लिये जमीनी स्तर पर बड़ा ही अद्भुत काम किया है.
रक्षाबंधन  के समय इन्होंने प्रधानमंत्री मोदी जी और  इन्द्रेश जी को  अपने हाथ से बनाई राखी भी भेजा था..

अभी राष्ट्रपति ने जी ने देश की जिन सौ महिलावों को सम्मानित किया उनमें एक नाम इनका भी था।

आज जब खबर आ रही की बिहार के सीवान गोपालगंज में कुछ शान्ति दूतों ने राम जी की जुलुस पर हमला कर दिया है..कर्फ्यू लगा है. तब नाजनीन जी को देखना जरूरी हो जाता है.

ये आइना हैं उन सभी मुसलमानों के लिये. सेक्यूलरिज्म का ढोंग करने वाले तमाम मुस्लिम  बुद्धिजिवीयों  के लिये जो धीरे-धीरे मोदी और आरएसएस के अंध विरोध में आज हिंदू और हिन्दुस्तान के विरोधी होते जा रहे हैं.
हमारा दुर्भाग्य है कि हम ओवैसी जैसों को जानतें हैं लेकिन नाजनीन अंसारी को नहीं जानते.

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