इधर बनारस के आसमान जब पतंगों से गुलज़ार हो गए थे..बाबूजी से बेटा और पिंकी से पप्पू तक पेंच लड़ाने लगे थे. तभी मौसम एकाएक अंगड़ाई लेकर असहिष्णु हो गया....तेज हवा के साथ बूंदा बूंदी शुरू...मीर घाट पर "गाँजा चढ़ा के बब्बल गुरु से नखडू गुरु कहे...सरवा मोसमवा बनत बिगड़त हौ भाय.."
नखडू गुरु को बाबा की बूटी चढ़ गयी थी..चिलम हिलाके हौले से कहे..."भाय इ जान लौ मोदिया जब बनारस आई तब तब बरखा होइ...
जनला काहें...? सभी श्रोता गन नखडू गुरु को मुरारी बापू का दूसरा अवतार समझकर पूछे."काहें गुरु"?
नखडू गुरु बड़े प्यार से समझाइस दिए..."भाय धरती से लेके आसमान तक में कुछ लोग चाहत नाइ हौ की मोदिया काम करे..काहें की काम करे लागी त इ सारे सन के मुंहे में किरासन पोता जाई....जनला गुरु इहे पालिटिल्स हौ भोस** के" ईमानदारी से काम करे लगबा त इंद्र महराज तक के दूकान में खुजली होखे लागी..."
उसके बाद आस पास के दस बीस लोग गगन भेदी बनारसी हंसी हंसे ..
एक परम् लण्ठ ने दिव्य ज्ञान दिया की " लगत हौ कि नेहरुआ इंद्रलोके में रहत हौ आजकल..सब सेटिंग हौ भाय......."
इसके बाद के ठहाकों के शोर से घाट दहल उठे...महादेव का जयकारा हुआ और उस दिन बुजुर्ग बनारसी लंठो द्वारा 'गाँजा पियो अभियान' को निश्चित काल के लिए स्थगित किया गया.. अगले दिन और ठण्ड बढ़ी..
साथ में बनारस की गर्मी भी..कि मोदी आने वाले हैं...
आज मोदी आये भी .अभूतपूर्व इंतजाम के बीच कार्यक्रम सम्पन्न हुआ....उस महामना के नाम पर आधुनिक एक्सप्रेस को हरी झण्डी दिखा कर रवाना किया जिन्होंने उनकी काशी को शिक्षा का मन्दिर देकर दुनिया में अलग पहचान दी है...
उन अशक्त 9296 दिव्यांगों को मदद कर उनकी जिजिविषा को पंख लगाने का काम किया जो इस 4g के युग में भी बाबा आदम के आदमी जैसा महसूस कर रहे थे। हर वर्ग जाति समाज के दिव्यांग मदद पाकर खुश थे..
आज ठण्ड थी मौसम साफ था..आसमान भी .लेकिन बारिष हो रही थी...
वो आसमान से नहीं उन आँखों से जो कभी देख नहीं सकती..उन पैरों से जो चल नही सकते थे।
उन हाथों से जो खड़े नहीं हो सकते थे.. इसलिए नही की उन्हें अब तक की सबसे बड़ी मदद मिल गयी थी...
अरे किसी नेता का यूँ खैरात बांटना या मदद करना कोई बड़ी बात नहीं.. आजकल हर चौराहे पर कम्बल बांटे जा रहे.... खैरात की तमाम योजनाएं तमाम सरकारों ने दी हैं....
बस इसलिए की एक अरसे बाद किसी ने अपनी दिव्य दृष्टि से समाज में अभागे बने हुए विकलांगो को उनकी विशिष्टता का बोध कराया है...उनकी दिव्यता का... उनकी कमी को उनकी शक्ति बताया है । उनको बताया है की जब हम एक पुजारी को पुकारते हैं तो लोग उनके ललाट पर लगे तिलक को देखते हैं...एक विद्वान पुकारते हैं तो लोग उन्हें सम्मान की नज़र से देखते हैं....लेकिन किसी को विकलांग कहते ही हम उसके उन अंगो को देखने लगते हैं....जो काम नही कर रहे...इससे बड़ा सामाजिक अभिशाप कुछ नहीं हो सकता।
तभी तो आज जब हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय में पढ़ने वाले अपने छोटे मित्र शेरू सिंग से बात हुई....हमने उत्साह से पूछा..का पंडी जी का मिलल? ...उ चार मिनट खामोश रहे और धीरे से कहा..."अतुल भाई भगवान ने विकलांग बनाया था..मोदी ने विकलांग से दिव्यांग बनाया है.इससे बड़ी मदद कुछ और नहीं हो सकती है। और फफक पड़े.. कुछ बरसने लगा...
मुझे नखडू गुरु फिर याद आये...
"मोदिया आई त पानी बरसी...."
Friday, 22 January 2016
मोदिया आई त पानी बरसी...
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गजब भैया,,,
ReplyDeleteबाह हम ता बिभोर हो गए .... अति सुन्दर व्याख्या --- मोदिया आहि तो पानी बरसी ... गजब
ReplyDeleteआज आपका ब्लॉग भावुक कर गया आँखे नाम हैं दिल में चाहत काश ...इंसान की नजर थोडा सा बदले...आपकी कलम को नमन
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