Thursday 14 January 2016

हैपी खिचड़ी...पप्पू पिंकी संवाद...

-ए पिंकी...
"क्या है? का माथा खाने लगे सुबह सुबह"?
-सुनो..कइसा बोलती है एकदम बासी भात जइसा..
अले ले ले..हं तो बोलो..न मेरे पप्पू... मोफलर में तो आज बले  स्वीट लग रहे हो.. मेले अलविन्द केदलीवाल...
-आय हाय..इ न हुआ बात..मेरी ताजा ताजा गाजर का हलवा....इ बात सुनके मन  मेरा केशव के पान जइसा हरियर  हो गया।
-चुप रहो बेशर्म...सुबहे सुबह..शर्म लाज सब गुटखा के साथ चबा गए हो न।?
"अले ले..गुस्सा नहीं मेरी रामप्यारी...सुनो.मेरी सोना मोना....आज पतंग उड़ाने छत पर आवोगी? ए आवो न.. पिलीज रे पिंकी.. देखो न बनारस के आसमान को...काश हम दोनों  ऐसे ही एक साथ  उड़ते रहते..केतना माजा आता न.. कम से कम मेरी माई और तुम्हारे बाउ का टेन्सन तो नहीं न रहता रे...ए पिंकी केतना दिन हो गए...आज तो पेंच लड़ा लेने दो....
-भक्क..सुबह सुबह  ज्यादे अमीर खान  के बाबूजी न बनो.....बाउ देख लीहें त छत से नीचे फ़ेंक दीहें। एकदम बउचट हो का.. समझते नहीं..लड़की हूँ मैं।
...अभी ओही दिन फिलिम देखने चले गए तुम्हारे साथ..निरहुआ वाला..बाउ कोचिंग में फोन कर दिए..कैसे कैसे जान बची...
-अच्छा...गंगा जी नहाने आवोगी...आवो न खिड़किया घाट पर हूँ अभी...आज खिचड़ी न है...केतना झकास घाम हुआ है...इ मेरा मन सरसो का खेत हो गया है रे पिंकी..मन कर रहा तुम्हारा दुपट्टा बिछा कर सो जाऊं आ एके बेर होली को उठूँ।
-सुनों..पतंग की ऐसी की तैसी...कुम्भकर्ण के नाना...अब इमरान हाशमी न बनो....
तुम नहाये हो आज गंगा जी...तील लाइ दही चूड़ा खाये..कुछ पंडी जी को दान दिए। अरे आज बरिस बरिस का परब है।"
-ए पिंकी...लोग नहाये रें...मेरा प्यार ही गंगा जी जैसा है पगली...तुम्हारी आँखें तील जैसी..दांत चूड़े जैसा.. और तुम्हारी ये गुड़ जैसी मीठी मिठी बातों के आगे सब दही फेल है रे।
- ए पप्पू सुबह सुबह सेंटियावो मत रे..
आई लव यू पिंकी
-लव यू टू मेरे पप्पू।
हैपी खिचड़ी।

2 comments:

  1. बहुत सुंदर …ऐसा लगा किसी फ़िल्म को देख रहा हूं

    ReplyDelete
  2. बहुत सुन्दर ऐसा लगा किसी भोजपुरी फ़िल्म का हिस्सा था

    ReplyDelete

Disqus Shortname

Comments system