"जाना हिंदी की सबसे ख़ौफ़नाक क्रिया है" ऐसा केदार बाबा 'बलिया वाले' कहतें हैं.....
दो हजार चौदह पन्द्रह ने भले कुछ किया हो या न किया हो...लेकिन लेकिन जाते जाते हिंदी के कुछ शब्दों के साथ ख़ौफ़नाक क्रिया जरूर कर दिया है..
तभी तो 'आप से लेकर विश्वास और हार्दिक से लेकर अरविन्द के साथ तेजस्वी जैसे शब्दों ने हिंदी में शब्द अर्थ जैसी परम्परा में अर्थ का अनर्थ करने का काम किया है...
इधर कई बार लगा कि मानों हिंदी शब्दकोश पर किसी बाहरी ने आक्रमण कर दिया हो... "आप का हनी सनी हार्दिक तेजस्वी रूप" देखकर कई बार लगा की विलोम और
समनार्थक जैसे शब्दों का अस्तित्व ही मिट जाएगा......
वैसे कुछ लोग जन्मजात क्यूट होते हैं...वो शब्द और अर्थों की माया से ऊपर होतें हैं...उनके क्यूटियापा का आलम ये है कि वो आशा और उम्मीद के साथ विश्वास जैसे शब्दों को बड़ी आध्यात्मिक निगाह से देखते हैं..
जैसे देखिये न... हमारे बगल वाले शर्मा जी को आशा है कि राहुल गांधी दूई हजार सोरह में एक मजूबत नेता के तौर पर उभरके सबकी उम्मीदों पर खरा उतरेंगे और लोगों में कांग्रेस के प्रति विश्वास को बढ़ाने का काम करेंगे.
उधर राहुल गांधी को भी विश्वास है कि वो आने वाले कई सालों में कुछ नहीं करेंगे और लोगों का इसी प्रकार स्वस्थ मनोरंजन करते रहेंगे ।
खेदन को विश्वास है कि आने वाले साल में उत्तर प्रदेश में प्रचण्ड समाजवाद आ जाएगा....अब एसडीएम और पीसीएस अधिकतर यादव बिरादरी के ही लोग नहीं होंगे बल्कि फलाना घुरहू और चिलाना कतवारु भी बिना घुस के उत्तर प्रदेश पुलिस में भर्ती हो जायेंगे।
वहीं हमारे अकलेस भाई को विश्वास है कि आने वाले साल में भले समाजवाद तेल लेने चला जाय..लेकिन दूइ हजार सतरह में अपने पॉट्टी की सरकार बनाकर मानेंगे.. और अपने घर के सबसे आखिरी सदस्य को विधायक बनकर समाजवाद की मशाल को आगे बढ़ाएंगे।
बबलुआ को लगता है कि आने वाले साल में अच्छे दिन आ जायेंगे..दाल,पेट्रोल और दारु एक रेट में मिलेगा।
सिंटूआ को आशा है कि नए साल में दिल्ली में लोकपाल से बड़ा परिवर्तन होगा.....केजरी सर के मफलर के एक बार हिलते ही आंधी पानी बुनी बरखा समय से होगा....जाम को कम करने के लिए इवेन आड के बाद एक नया नियम आएगा..जिसमें एक दिन महिला बाहर निकलेगी और एक दिन पुरुष...एक दिन महिलावों की शादी होगी एक दिन पुरुषों की...और दिल्ली के लोग वाई फाई के एंटीना पर चढ़कर अपने आंतरिक लोकपाल में मीठी हलचल महसूस करते हुए रामराज्य का स्वागत करेंगे।
नितीश कुमार को विश्वास है नए साल में सु-शासन आकर मानेगा.. अपहरण लूटपाट और हत्या बिहार में एकदम नहीं होगा। लालू यादव और मीसा भारती उन्हें डिस्टर्ब नहीं करेंगे।
लालू यादव को भी विश्वास है कि नितीश मनमोहन सिंग की तरह उन्हें अपना सोनिया गांधी समझेंगे।
वहीं तेजस्वी और तेजप्रताप को उम्मीद है कि नए साल में उनके नितीश अंकल उन्हें पालिटिक्स पॉलिटिक्स और मंत्री मंत्री खेलने देंगे।
इधर मेरे मंटुआ को आशा है कि नए साल में उसकी तीसरी गर्लफ्रेंड अब सिर्फ उसी से प्यार करेगी..सिर्फ उसी के साथ फ़िल्म देखेगी...वो पापा के पाकेट से जब जब पैसे चुराकर उसे टेडी बियर देगा उस दिन उसे पिक्चर हाल में हाथ पकड़ने देगी.....
उसकी गर्लफ्रेंड को विश्वास है कि वो आने वाले साल में भी अपने सभी ब्वायफ्रेंडों से रिचार्ज करवाती रहेगी और सभी को समय से "आइ लव यू जानू" बोलेगी..और एक दो नए ब्यायफ्रेंड बनाने का काम करेगी।
पिंकी को विश्वास है कि नए साल में गोलगप्पे वाला उसे पांच रुपया में चार कि जगह सात गोलगप्पे खिलायेगा..क्योंकि वो उस पर लाइन मारता है।
गोलगप्पे वाले को विश्वास है कि पिंकी एक दिन उससे उसका गोलगप्पा खाकर पट जायेगी और खट्टे की जगह किसी दिन कुछ मीठा करने देगी।
हमारी बगल वाली आंटी को विश्वास है कि आने वाले साल में उनके हेसबेंड जी रात को बारह बजे फेसबुक पर अपनी जयपुर वाली बहन से ही चैट करते रहेंगे।
अंकल जी को भी विश्वास है कि उनकी बीबी आने वाले साल में भी ऐसी ही मूर्ख रहेगी।
फेसबुक पर कुछ ड्यूडों को विश्वास है कि वो चैटिंग करके उस एन्जेल चिंकी को पटा लेंगे क्योंकि वो उसकी हर पिक को लाइक करती है।
एन्जेल चिंकी को उम्मीद है कि फ़ोटो शाप में और थोड़ी मेहनत के बाद उसके लाइक्स और कमेंट में जबदस्त वृद्धि होगी और सारे फेसबुकिया ड्यूड उस के सामने ऐसे ही लट्टू होकर नाचने का काम करते रहेंगे।
वहीं एक क्रांतिकारी फेसबुकिया को विश्वास है कि वो आने वाले साल में भी अपनी बातों से दुनिया बदलकर रख देगा।
वहीं क्रांतिकारी की पत्नी को विश्वास है कि उसके क्रन्तिकारी पति दुनिया बदलने से पहले अपना गंजी अंडरवियर और रुमाल मोजा समय से बदल लेंगे।
मल्लब की सबको विश्वास है कि नए साल में कुछ न कुछ जरूर बदलेगा....एक नया दौर एक नया जोश का संचार होगा...
बस पता न क्यों इस नाचीज को इस इस दिल ए नादाँ को विश्वास नही है कि ऐसा कुछ होगा....राग निराशा गाने का मन कर रहा है...लग रहा कि एक तारीख के बाद सब कुछ वैसा ही हो जायेगा जैसे इकतीस तारीख के पहले था।
क्योंकि सिर्फ कैलेंडर बदलने से लोग और हालात नहीं बदल जाते।
हाँ काश कोई सिस्टम होता कि कैलेंडर के साथ आदमी की सोच समझ और बुद्धि विवेक भी बदल जाती..तो कोई बात होती... पर ऐसा कहाँ हो पाता है.....
इसके बावजूद हालात और हकीकत को ध्यान में रखते हुए आशा उम्मीद और विश्वास की लौ को जलाये रखना जरूरी है...क्योंकि आदमी हवा पानी से कम आशा विश्वास और उम्मीद के सहारे अधिक जीत है.....
आप सबको नव वर्ष कि पारम्परिक शुभकामनाएं. आने वाला वर्ष मंगलमय हो।
बस आज क़तील चचा पाकिस्तान वाले याद आ रहे बहुत।
जो भी आता है बताता है नया कोई इलाज
बट न जाये तेरा बीमार मसीहाओं में
हौसला किसमें है युसुफ़ की ख़रीदारी का
अब तो महंगाई के चर्चे है ज़ुलैख़ाओं में
जिस बरहमन ने कहा है के ये साल अच्छा है
उस को दफ़्नाओ मेरे हाथ की रेखाओं में
गजब की लेखनी है आपकी बहुत गहराई से दिल की बात कही है आपने
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