Thursday 24 December 2015

क्रांतिकारी से मुलाकात....


एक दिन की बात है.....दिन रात   फेसबुक पर  दुनिया बदलने की बात करने वाले बुद्धिजीवी क्रांतिकारी से   मिलने उनके घर गया...बेचारे कई दिन से फोन कर रहे थे.."आ जावो अतुल. अच्छा खासा लिख लेते हो एक संगीत के स्टूडेंट होकर भी..मुझे भी संगीत से बेहद लगाव है...आ जा कुछ बात करेंगे." ये ये पता है मेरा..किसी से पूछोगे तो मेरे बारे में बता देगा...वैसे तुम घर के पास आकर फोन करना"...
बस क्या था..  इस परम प्रेम से सने स्नेह निमन्त्रण को अस्वीकार करने में असमर्थ होते हुए मैं चल दिया..
चलते चलते  उनके मोहल्ले में पहुंचा..संयोग से उनका फोन आउट आफ कवरेज एरिया....मैं परसान..अजीब पागल बने आज अतुल बाबू"
हरान होकर उनके घर के सामने वाले एक पान वाले से पूछा..."फलाना को जानते हैं..आपके आस पास रहते हैं...उ कहा..."कवन.?.हमने कहा. "विद्वान आदमी हैं..फेसबुक पर हजारों उनके दीवाने हैं..जब लिखते हैं लोग खूब  लाइक कमेंट करते  हैं...." बड़ा सम्मान है उनका।
पान वाले ने हाथ गमछा में पोछकर सरौता रखते हुए कहा..."फ़ोटो दिखाइए तो उस आदमी का कौन मेरे मुहल्ले में इतना परम विद्वान निकल गया...."
हमने उनके प्रोफाइल डीपी दिखाई...
पन्द्रह मिनट उसने ध्यान से देखा..कहा नही जानता इनको...फिर चश्मा निकाला..
अचानक पान वाले का मुंह जलेबी जैसा बन गया..."अरे महराज इ ससुरा कब से बुद्धिजीवी हो गया.....आज एक साल से हमरा दूकान पर पान बहार खाया और उसका पैसा नहीं दिया...
हमने कहा बे महराज...वो तो नशा उन्मूलन पर गजब पोस्ट लिखते हैं..."
उसने पान का एक बीड़ा लगाते हुए कहा..."आप इस चूतिया  के चक्कर  में पड़ गए...अपना काम करिये।
इसको घर से बाहर निकलने पर पान वाला एक पान उधार नहीं देगा..दुनिया बदलने चला है ससुर...."
हाय...मेरा फेसबुक और बुद्धिजीवी विद क्रांतिकारी शब्द से विश्वास उठ गया..उनको दूर से नमन करते हुए दबे पाँव वापस लौट आया....
अब डर लग रहा मैं कही नास्तिक न हो जाऊं..जुकर भइया एन्ड भौजी की कसम
कई बार लगता है कि पहले के अपेक्षा बुद्धिजीवी  बनना अब आसान है..बहुत ज्यादा पढ़ने लिखने  और चिंतन मनन करने कि जरूरत नहीं है....
फेसबुक what's app ने हर राह सुगम कर दिया है..अब हर आदमी विद्वान है....इसने दो किस्म के लोग सबसे ज्यादा पैदा किया है..एक बुद्धिजीवी दूसरे क्रांतिकारी....बुद्धिजीवी वो होता है  जो किसी भी सामान्य सी बात को असामान्य बना दे....सीधी बात को उल्टी कर दे..कोई कहे कि प्रेमचन्द महान लेखक हैं...आप कह दे उनसे महान गोर्की था बस आप बुद्धिजीवी हो गए..कोई कहे पंडित भीमसेन जोशी क्या गजब गाते हैं..क्या दरबारी गाया है किराना घराना की शुद्ध गायकी....आप तुरन्त कहिये.."बक महराज..आपने पंडित कुमार गन्धर्व का 'अवधूत' नही सुना..सुनिए तो एक बार  दूसरे लोक में चले जाएंगे।"
बस अरविन्द चचा दिल्ली वाले की कसम आप  ISO सर्टिफाइड बुद्धिजीवी हो गए..
अब आप आराम से क्रांति कर सकते हैं....
हाँ क्रान्ति वो होता है जिसमे आदमी खुद को छोड़कर सब कुछ बदल देना चाहता है।
बाकी जवन है तवन हइये है। 😙

4 comments:

  1. हमेशा की तरह शानदार!

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  2. बेमिसाल प्रशंसा के लिए छोटे हसीन शब्द

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  3. बेमिसाल प्रशंसा के लिए छोटे हसीन शब्द

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