Saturday 28 November 2015

बैंड बाजा बारात.....(लगन के बहाने..)

शादी ब्याह का आलम है...रोज किसी के हाथ पीले और किसी के नेत्र गीले हो रहें हैं..किसी का दिल टूटकर सीरिया हो  रहा तो किसी का जुड़कर बिहार हो रहा।
दिल्ली से भइया आ गए..जयपुर से मौसी कब आएँगी इसकी चिंता है अब....पिंकीया भी घोर कन्फ्यूजन में है कि दीदी की शादी में लाल वाला लहंगा पहने या फ्राक सूट ही पहन ले. उ  का है कि जीजू की आरती जो उतारनी है..सुना है जीजू बैंक में नोकरी करतें हैं...मने खुश होकर चेक काट दिए तो आनंद मंगल हो जाएगा न..आ उनके नॉटी नॉटी भाई भी तो रहेंगे....सुना है सब बीटेक्स करतें हैं.. तो सबसे हॉट जो दिखना है...
मने सब तैयारी चल रही है...."गाई के गोबरे महादेव..." जैसे लोक गीत गाये जा रहे  कहीं आज शगुन उठ रहा....घर ,दुआर से उत्साह की मीठी मीठी गंध आ रही.... कुछ लौंडे नागिन डांस का रिहर्शल कर रहे तो कुछ भौजी की मझिली सिस्टर को फेसबुक पर खोज रहें हैं।
लेकिन साहेब उ सब तो ठीक है..बस इधर जिन लौंडो की शादी में  दो चार दस दिन बाकी है उनका हाल ए दिल बहुते खराब  है....."दिनवा न चैन...नाही नीद आवे रैना" वाला कंडीशन हो गवा है..... एक एक घण्टे,एक एक पल,एक एक प्रकाश वर्ष जैसे हो गये हैं... दिन भर कान में मोबाइल सटाकर सताइस किसिम का मुंह बनाते हुए  हाल चाल लिया दिया जा रहा है.. खाने से लेकर सुसु तक के ब्यौरे का आदान प्रदान हो रहा......मने "सोना मोना स्वीटी डार्लिंग  आपने कल सात बार सूसू किया आज आठ बार क्यों...आपकी तबियत ठीक नहीं लग रही".....
हाय! इस प्रेम पर मुझे मर जाने का मन करता है.....सोना मोना जैसे शब्द ने भी इस प्रेम को देखकर  कुछ दिन दहशत में जीने का फैसला कर लिया है।
हाँ तो इस पर भी चर्चा चल रही है कि.... "सुहाग रात में शरमायेंगी आप.."?  वो भी उधर से हंसकर कह देतीं हैं...."क्यों नहीं..शर्म नहीं आएगी....भक्क..आप भी न"
इधर हमारे परम सखा उपधिया जी का भी हाल खराब  है..अभी फोन करके पूछ रहे कि "अतुल भाई..जरा एक सुहाग रात में बजाने लायक गाना तो बता दिजिये....क्या है कि आपकी भाभी को संगीत से गहरा लगाव है...तो सोच रहे कि हम क्यों न आपके संगीत ज्ञान का लाभ लिया जाय...
मैंने उपधिया जी कि समस्या का समाधान  कर दिया है...... ये बताकर कि "मित्र...मेरे बैंड बजने में तो अभी बहुते समय है..पर आपको इस विषम हालात में  फ़िल्म 'चम्बल की कसम' में ख्ययाम की कम्पोजिंग  और साहिर के गीत को लता और रफ़ी जी के आवाज में मन्द मन्द आवाज में बजाना चाइये.....
हकीम एम् जान कि कसम.गीत कि इन लाइनों
को सुनने के बाद एक अलग ही प्रेम शक्ति का संचार  होगा..इसकी सौ फीसदी गारंटी है..
"अब सुबह ना हो पाये आवो ये दुआ मांगे.
इस रात के हर पल से रातें ही निकल आएं..
सिमटी हुई ये घड़ियां......"
उपधिया जी  इतना सुनने के बाद मुझे एक क्विंटल धन्यवाद दियें हैं....मानों कोई बड़ा रहस्य हाथ लग गया हो।
खैर..जेवन है तवन हइये है.....मुझे बार बार हंसी आती है.....सोचता हूँ...शादी से पहले ये 24×7 बात करने वाले...क्या शादी के बाद भी ऐसे ही पत्नी के लिए प्रेम बचा पायेंगे.....? व्यापक शोध का विषय है..मुझ जैसे कुंवारों को इ सब सोचना भी नहीं चाहिए ।
लेकिन ब्याह बाद मुझे तो कहीं परेम  नज़र नहीं आया....देखा है बियाह के एक साल बाद ऐसे ही उपधिया जी टाइप लोग कहतें हैं....."फोन रखो...दिन भर बक् बक् करती रहती हो..."
कई बार उन बुजुर्गों को नमन करने का मन करता है..वो कि तने महान,धैर्यवान और तपस्वी थे...जिनके माँ बाप ने शादी तय कर दी....जिनके जमाने में फेसबुक,whats app नहीं था...जिन्होंने शादी के बाद ही डाइरेक्ट सुहाग रात में घूंघट उठाकर अपनी शरीक- ए-हयात के जमाल-ए-रोशन का दीदार किया..लेकिन  दाम्पत्य में  आज तक उसी आत्मीयता को बचाये हुयें हैं..


2 comments:

  1. विवाह निभाने की पूरी कोशिश होनी चाहिए नई पीढ़ी को पुरानी पीढ़ी से सीखना चाहिए

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  2. विवाह निभाने की पूरी कोशिश होनी चाहिए नई पीढ़ी को पुरानी पीढ़ी से सीखना चाहिए

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