Saturday 25 July 2015

हाय जीजा........

यूँ तो जीजा नाना प्रकार के होते हैं...किसिम किसिम के ।अफ़सोस कि जीजा साली के सम्बंधों पर आजतक सिर्फ सड़क छाप शायरी ही हुई है व्यापक शोध होना बाकी है ..लेकिन जीजावों के  वर्गीकरण का सरलीकरण किया जाय तो आजकल हमारे यहां दो किस्म के जीजा ही पाये जातें हैं......एक जीजा और दूसरे जीजू...अपवाद के बावजूद अधिकतर जीजा टाइप के जीजा आर्मी या सीआरपीएफ में होते हैं... इनकी सालीयाँ मध्यम वर्गीय होती है...वो जूता चुराई के रस्म में 500₹ में भी आसानी से मान जाती है...मजाक भी सलीके से करती है...'भक्क जीजाजी..आप न....हमको इतना मजाक पसन्द नहीं.".कहके दुपट्टा ठीक करती हैं...वो टाउन डिग्री कालेज से गृह विज्ञान में एमए करती है.....शादी ब्याह में ही ब्यूटी पार्लर जाती है...अलग बात है की यदा कदा खुद से एब्रो सेट करते वक्त रो लेती हैं..
लेकिन बीटेक्स वाले इंजीनियर टाइप जीजू की सालीयाँ थोड़ी चंचला होती हैं..जिनके जीजू रात को उनकी दीदी के सो जाने बाद उनसे चैटिंग करते हैं.......ऐसी सालीयाँ शादी के वक्त जूता चुराई के समय जीजू के नाक में दम कर देती हैं....बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज के निफ्टी की तरह उनके नखड़ों का संवेदी सूचकांक घटता बढ़ता रहता है....
"वावो लूकिंग सो हॉट जीजू......." कहते वक्त एक विशेष प्रकार का मुंह बनाती हैं...जो ज्यामेट्री के  रिसर्च स्कॉलरों के लिए शोध का विषय हो सकता है.....ऐसी सालीयाँ हफ्ते में एक दिन ब्लीच न करें और रोज रोज माइस्चराइजर न लगावें तो  उनका पाचन तंत्र कमजोर हो जाता है...वो नोएडा के उस कालिज से बीटेक करती हैं, जिसकी अधिकतर सीटें हर साल खाली रह जातीं हैं..वो सुबह उठते ही एक सेल्फ़ी लेती हैं और फेसबुक पर फिलिंग रोमांटिक विद रोनित जैक एन्ड थर्टी फाइव अदर टाइप स्टेटस शेयर करती हैं।....उसे हर तीसरा लड़का रणबीर कपूर लगता है...और उसके जीजू वर्ल्ड के नंबर एक जीजू....
इसके बावजूद हमारे यहाँ भोजपुरिया संस्कृति में  जीजा और जीजू का एक वर्ग और होता है जिसे 'पाहुन या पहुना' कहतें..ये उस किसम की सालीयां होती हैं जो जीजा से उम्र में थोड़ी बड़ी होती हैं...तीन चार बच्चों को लगातार पैदा कर परिवार नियोजन का सार्वजनिक मजाक बना चूकीं होतीं हैं....इसमें अधिकतर सरहज और साढ़ूवाइन टाइप होती हैं...जो माड़ो में पाहुन के इतिहास भूगोल और नागरिक शास्त्र के बारे में ज्यादा उत्सुक  होती हैं.....दही खिलाते वक्त जोर से गाल पर चिकोटी काटती हैं....और हंसकर कहती हैं...
."खाल ए पाहुन...... तहार बहिन ****.. ना त तहार दिदिया का कहीहन....." पाहुन चार इंच वाली कुटिल मुस्कान के साथ साली के बिगड़े भूगोल देखकर अपना इतिहास याद करतें हैं।
लेकिन  साहेब....जबसे  दिल्ली वाले असली आम आदमी पार्टी के मुख्यमन्त्री सीरी अरविन्द केजरीवाल जी ने अपनी वाइफ कि सिस्टर को महिला आयोग का अध्यक्ष बना दिया है तबसे तमाम भारतीय सालीयों के मार्केट में खलबली मच गयी है....इस क्रान्ति पुरुष के क्रांतिकारी कदम ने जीजा साली के सम्बंधों वाली हाइवे पर मील का पत्थर गाड़ दिया है.......सब  सालीयों ने अपने अपने जीजा और जीज्जू को चाय पानी पी पीकर कोसा है....
"हाय जीजू तुम केजरीवाल न हुए...".
सबने जूता चुराई के नेग स्वरूप  में एक एक आयोग का डिमांड कर डाला है......
फलस्वरूप जीजावों और जीजूओं के जीजूत्व पर गम्भीर संकट खड़ा हो गया है... सब असली आम आदमी केजरीवाल जी से बहुते नराज हैं......
कम से कम मोदी जी ने उन्हें कुछ राहत देने का काम तो किया था..अपने सगे सम्बंधियों और साले सालीयों को महत्वपूर्ण पदों पर नहीं रख सकते थे.....लेकिन हाय रे केजरीवाल साहब......
राष्ट्रीय जीजा और असली किसान सीरी वाड्रा जी कि कसम..अब जल्द से एक 'साली आयोग' का गठन नहीं हुआ तो 'धरना पुरुष' से प्रेरणा लेकर अधिकतर सालीयां जंतर मंतर पर धरनारत भी हो सकती हैं.....यहाँ तक की अपने सालीत्व के मौलिक अधिकार के लिए महिला आयोग दिल्ली कि कुण्डी भी बजा सकती हैं।
जीजावों और जिज्जूवों का बैंड न बजे इसके लिए मौसम विभाग ने समस्त जीजूओं को आगाह किया है कि वो  सुधर जायं उनकी खैर नहीं...या राष्ट्रीय जीजाजी सीरी वाड्रा साब के खेतों में अपना लालटेन चटाई बिछा लें...वाड्रा साब जमीन का दूसरा नाम हैं..भले उनके पास पप्पू जैसा साला है तो क्या,  आसमान और जमीन से बड़ा उनके पास दिल है...जीजावों के इस संकट काल में उनकी जरूर कुछ मदद करेंगे।
इधर साहेब हमारे पुत्तर परदेस में असमाजवादी पार्टी के समाजवादी मुखिया सीरी मन से मोलायम जी ने अपने समधी जी को लोकायुक्त बनाने का तीन बार असफल प्रयास किया है.....वो इसके लिए कानून को भी बदलना चाहतें हैं...किसी ख़ास  ने उनको राय दिया है की..."यूपी में कानून रहेगा तब न बदलेंगे "
हाय.....असली आम आदमी और असली समाजवाद की कसम...अब सालीयों और समधियों कि इस राजनैतिक उन्नति को देखते हुए सबको आगाह रहने की जरूरत है...क्या पता आप शादी मे जायँ...और साली जलेबी जैसा गोल मुंह बनाकर ये कहे की..."जीजू कौन सा आयोग दोगे ?कन्फर्म करो तब जूता मिलेगा.."..
और  समधी जी परोरा जैसा मुंह बनाकर कहें...."मिलनी किया जाय बाकी...कहिये समधी जी लोकायुक्त बना रहें हैं न" ? हाय..
वो जमाना गया जब सालीयां "जूते दे दो पैसे ले लो "वाला गाना सुनकर ही मान जाती थीं......और समधी जी गाय बैल भैंस लेकर....।।

3 comments:

  1. का लेखनी बा अतुल जी झकास

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  2. बेहतरीन लेख, पहली बार आपको पढ़ा। इस उम्र में ही आपकी लेखनी की धार देखकर मन प्रसन्न हो गया।

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  3. अति सुन्दर।
    आपकी इस उम्दा लेखनी को पढ़कर मन के तारो में गुदगुदी सी मच गयी।
    रोमांचित करने के लिए आपका आभार।
    यूँ ही लिखते रहे।
    आपका शुभचिंतक।

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