तब रेडियो का जमाना था। मनोरंजन के इतने साधन और इतने कलाकार नही थे। रेडियो और साइकिल घडी स्टेटस सिम्बल हुआ करता था।
आकाशवाणी से गीत आने का समय बच्चे बच्चे को याद था। जिनके पास रेडियो नही था वो दुसरे के यहाँ सुनने जाया करते थे।
उसी वक्त आकाशवाणी गायक मुहम्मद खलील साहब के गीत आते थे तो लोग रेडियो घेर के बैठ जाते थे.....लोग उनके गीत उठते बैठते सोते जागते खेतो में काम करते गुनगुनाते थे।
अब जब हमने मनोरंजन के छेत्र में बेहिसाब प्रगति कर ली है । मनोरंजन के पैमाने बदल गये हर दस कदम पर आपको कैसेट कलाकार मील जायेंगे । अश्लीलता फूहड़ता हावी है ।भोजपुरी संगीत के हालात बड़े दयनीय हैं ....
ऐसे में धरोहर को सम्भालने की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। खलील साहब के गीत भोजपुरी के धरोहर हैं ।हमे इस भयावह सांस्कृतिक अकाल में उन्हें बचाए रखना है ।बहुत ज्यादा जानकारिया नही मिल पाती उनके बारे में फिर भी जिज्ञासा वस कई लोगों से चर्चा करने के बाद पता चला की.....खलील साहब ने कबीर के निर्गुण से लेके और कई लोकगीतों को गाकर लोकसंगीत को खूब समृद्ध किया उन्होंने पंडित भोला नाथ गहमरी जी का लिखे गीत भी गाये जो खूब लोकप्रिय हुए।........"कवनी खोतवा में लूकइलू आहि रे बालम चिरई "जैसे गीतों के लोग दीवाने थे।
इस गीत के साथ कई गीतों को बहुत बाद में मदन राय ने गाया। जिन्होंने खलील साहब को सूना है वो बताते हैं की उन्होंने ने जो गाया है वो अद्भुत है । आज भी खलील साहब की दुर्लभ आवाज की रिकार्डिंग आकाशवाणी के पास मौजूद है.....पर निराशा होती है की उसे न कभी प्रसारित किया जाता है न ही उसे सार्वजनिक किया जाता है।
उनका गाया और गहमरी जी का लिखा ये पति पत्नी का करुण सम्वाद । पत्नी मृत्यू शैया पर पड़ी हुई.......अपने पति से कहती है ....ये गीत शरीर की नश्वरता का सहज बोध कराता है।
आकाशवाणी से गीत आने का समय बच्चे बच्चे को याद था। जिनके पास रेडियो नही था वो दुसरे के यहाँ सुनने जाया करते थे।
उसी वक्त आकाशवाणी गायक मुहम्मद खलील साहब के गीत आते थे तो लोग रेडियो घेर के बैठ जाते थे.....लोग उनके गीत उठते बैठते सोते जागते खेतो में काम करते गुनगुनाते थे।
अब जब हमने मनोरंजन के छेत्र में बेहिसाब प्रगति कर ली है । मनोरंजन के पैमाने बदल गये हर दस कदम पर आपको कैसेट कलाकार मील जायेंगे । अश्लीलता फूहड़ता हावी है ।भोजपुरी संगीत के हालात बड़े दयनीय हैं ....
ऐसे में धरोहर को सम्भालने की जिम्मेदारी बढ़ जाती है। खलील साहब के गीत भोजपुरी के धरोहर हैं ।हमे इस भयावह सांस्कृतिक अकाल में उन्हें बचाए रखना है ।बहुत ज्यादा जानकारिया नही मिल पाती उनके बारे में फिर भी जिज्ञासा वस कई लोगों से चर्चा करने के बाद पता चला की.....खलील साहब ने कबीर के निर्गुण से लेके और कई लोकगीतों को गाकर लोकसंगीत को खूब समृद्ध किया उन्होंने पंडित भोला नाथ गहमरी जी का लिखे गीत भी गाये जो खूब लोकप्रिय हुए।........"कवनी खोतवा में लूकइलू आहि रे बालम चिरई "जैसे गीतों के लोग दीवाने थे।
इस गीत के साथ कई गीतों को बहुत बाद में मदन राय ने गाया। जिन्होंने खलील साहब को सूना है वो बताते हैं की उन्होंने ने जो गाया है वो अद्भुत है । आज भी खलील साहब की दुर्लभ आवाज की रिकार्डिंग आकाशवाणी के पास मौजूद है.....पर निराशा होती है की उसे न कभी प्रसारित किया जाता है न ही उसे सार्वजनिक किया जाता है।
उनका गाया और गहमरी जी का लिखा ये पति पत्नी का करुण सम्वाद । पत्नी मृत्यू शैया पर पड़ी हुई.......अपने पति से कहती है ....ये गीत शरीर की नश्वरता का सहज बोध कराता है।
अइसन पलंगिया बनइहा बलमुवा
हिले ना कवनो अलंगीया हो राम
हिले ना कवनो अलंगीया हो राम
हरे हरे बसवा के पाटिया बनइहा
सुंदर बनइहा डसानवा
ता उपर दुलहिन बन सोइब
उपरा से तनिहा चदरिया हो राम
अइसन पलंगीया...........
सुंदर बनइहा डसानवा
ता उपर दुलहिन बन सोइब
उपरा से तनिहा चदरिया हो राम
अइसन पलंगीया...........
पहिले तू रेशम के साडी पहीनइह
नकिया में सोने के नथुनिया
अब कइसे भार सही हई देहियाँ
मती दिहा मोटकी कफनिया हो राम
अईसन पलंगिया.......
नकिया में सोने के नथुनिया
अब कइसे भार सही हई देहियाँ
मती दिहा मोटकी कफनिया हो राम
अईसन पलंगिया.......
लाल गाल लाल होठ राख होई जाई
जर जाई चाँद सी टिकुलिया
खाड़ बलम सब देखत रहबा
चली नाही एकहू अकिलिया हो राम
अइसन पलंगिया........
जर जाई चाँद सी टिकुलिया
खाड़ बलम सब देखत रहबा
चली नाही एकहू अकिलिया हो राम
अइसन पलंगिया........
केकरा के तू पतिया पेठइब़ा
केकरा के कहबा दुलहिनिया
कवन पता तोहके बतलाइब
अजबे ओह देस के चलनिया हो राम
अइसन पलंगिया......
केकरा के कहबा दुलहिनिया
कवन पता तोहके बतलाइब
अजबे ओह देस के चलनिया हो राम
अइसन पलंगिया......
चुन चुन कलियन के सेज सजइहा
खूब करिहा रूप के बखानवा
सुंदर चीता सजा के मोर बलमू
फूंकी दिहा सुघर बदनियाँ हो राम
अइसन पलंगिया.........
भोजपुरी का नया सिनेमा- इन पांच शार्ट फिल्मों को नहीं देखा तो क्या देखा ?
भिखारी ठाकुर की भोजपुरी साफ्ट पोर्न का हब कैसे बनी ?
खूब करिहा रूप के बखानवा
सुंदर चीता सजा के मोर बलमू
फूंकी दिहा सुघर बदनियाँ हो राम
अइसन पलंगिया.........
भोजपुरी का नया सिनेमा- इन पांच शार्ट फिल्मों को नहीं देखा तो क्या देखा ?
भिखारी ठाकुर की भोजपुरी साफ्ट पोर्न का हब कैसे बनी ?
आप के पास भोलानाथ गहमरीजी के गीत, लिखे या mp3 हों तो बताईयेगा। या आप को खबर हो ऐसी चगह जहाँ से ये गीत खरीदे जा सकें।
ReplyDeleteBholanath gahamari hamare mausa the.Hum bhi Md khalil jinhe buchpan me hum khalil kahate the Ke gae hue geeton ki khij me hain per we kahin uplandh hi nahi hain.
ReplyDeleteBholanath gahamari hamare mausa the.Hum bhi Md khalil jinhe buchpan me hum khalil kahate the Ke gae hue geeton ki khij me hain per we kahin uplandh hi nahi hain.
ReplyDeleteBahut hi badiya jaankari diya aapne iske liye bahut bahut abhaar.
ReplyDeletehttps://youtu.be/fLPeS-Xh9LU
ReplyDeleteमोहम्मद ख़लील कहाँ के थे और किस आकाशवाणी केंद्र में उनकी रचना है ? कृपया बताईए
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